उज्जैन। धर्मस्व विभाग ने गयाकोठा तीर्थ क्षेत्र के विकास के लिए साल 2018 में 22 करोड़ 50 लाख की राशि मंजूर की थी। पहले चरण में 10 करोड़ से अधिक के निर्माण कार्य होने थे। हाउसिंग बोर्ड को इसके लिए निर्माण नोडल एजेंसी बनाया गया था। काम शुरु होने के बाद भी पहले चरण के कई कार्य रूके हुए हैं। शासन से विभाग को 6 करोड़ से ज्यादा की राशि नहीं मिल पाई है। उल्लेखनीय है कि अंकपात क्षेत्र स्थित पौराणिक महत्व के गयाकोठा तीर्थ क्षेत्र में प्राचीन मंदिर और सरोवर के विकास कार्य हेतु धर्मस्व विभाग ने 4 साल पहले 22 करोड़ 50 लाख रुपए की राशि मंजूर की थी। योजना के तहत यह कार्य 2 चरणों में पूरा होना था। पहल चरण में 10 करोड़ 63 लाख की राशि से तीर्थ क्षेत्र के पुरातन स्वरूप को नया करना तथा यहाँ सभामंडप और तर्पण के लिए कुटियाओं का निर्माण करना शामिल था। इसके अलावा यहाँ स्थित प्राचीन सरोवर का नए सिरे से निर्माण तथा परिक्रमा पथ का निर्माण इसमें शामिल है। हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार साल 2018 में पहले चरण के यह काम ठेकेदार के माध्यम से शुरु कराए थे।
उस दौरान शासन से कुल स्वीकृत राशि में से 4 करोड़ रुपए की राशि मिली थी। जिसके द्वारा ठेकेदार ने यहाँ तर्पण की झोपड़ी और तालाब के जीर्णोद्धार का काम शुरु किया था। परिसर में कुछ व्यवसायिक दुकानें भी ठेकेदार ने बनाई थी लेकिन इसके बाद शेष भुगतान नहीं होने के कारण ठेकेदार द्वारा काम रोक दिया गया और इसी के चलते यहाँ तालाब का काम अधूरा रह गया। बाउंड्रीवाल और दुकान निर्माण के काम भी पूरे नहीं हो पाए हैं। योजना के मुताबिक दूसरे चरण में नए सिरे से मंदिर का जीर्णोद्धार करना तथा मुख्य द्वार और बाउंड्रीवाल आदि का निर्माण भी होना है। पहले चरण की स्वीकृत 10 करोड़ 63 लाख की राशि में से 4 करोड़ की राशि ही शासन से मिल पाई है और 6 करोड़ से अधिक की राशि शासन से आना शेष है। विभाग द्वारा इसके लिए शासन को पत्र लिखे गए हैं लेकिन अभी तक राशि नहीं आई है। उल्लेखनीय है कि गया कोठा तीर्थ विकास के पहले चरण का काम साल 2020 में ही पूरा हो जाना था। परंतु मद के अभाव में यह काम अधूरे हुए और अभी बंद पड़े हुए हैं।
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