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    प्रदेश का पहला Driving Research Center बनेगा इंदौर में

  • March 28, 2022

    • ड्रायविंग लाइसेंस बनवाने की प्रकिया में होगा बड़ा बदलाव
    • रात में भी जारी रहेगा ट्रायल, दुर्घटनाओं को रोकने के लिए होगा अध्ययन

    भोपाल। जल्द ही इंदौर में प्रदेश का पहला ड्रायविंग रिसर्च सेंटर बनने वाला हैं। यहां ड्रायविंग प्रशिक्षण के साथ दुर्घटनाओं को कम करने के लिए उनसे जुड़ी तमाम रिसर्च भी होंगी। वहीं ड्रायविंग लाइसेंस सहित अन्य प्रक्रियाओं में कई महत्वपूर्ण बदलाव होने वाले हैं। यहां तक की आरटीओ के लाइसेंस जारी करने के अधिकार न के बराबर रह जाएंगे। परिवहन विभाग ने केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय को इसका प्रस्ताव भी भेज दिया है। डीटीआई के प्रभारी अधिकारी अनिल शर्मा ने बताया, परिवहन विभाग ने कौशल विकास विभाग के नंदानगर स्थित ड्रायविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (डीटीआइ) को चुना है। केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक सेंटर के लिए 10 से 15 एकड़ भूमि होना आवश्यक है। निर्माण के लिए अधिकतम 17.25 करोड़ रुपए मिल सकते हैं। यह प्रदेश का एकमात्र इंस्टीटयूट है जहां पहले से सरकारी योजनाओं में ड्रायविंग सिखाई जाती है। हमारे पास जमीन भी पर्याप्त है। बहुत कुछ व्यवस्थाएं पहले से ही यहां है, इसलिए रिसर्च सेंटर आसानी से और ल्द बन जाएगा। शुरुआत में लगभग 3.5 करोड़ रुपए मिलने का अनुमान है।



    आरटीओ के अधिकारों पर चलेगी कैंची
    केंद्र की मंशा के अनुसार ऑनलाइन लर्निंग लाइसेंस लेने के बाद सेंटर, स्कूलों से पहले निर्धारित ड्रायविंग ट्रेनिंग लेकर ट्रायल देना होगी। ऐसे में कुशल ड्रायवर सड़कों पर गाड़ी चलाएंगे। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद सेंटर से सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। यहा। तक की फोटो भी डीटीआई में ही होंगे। उसके आधार पर आरटीओ से सीधे लाइसेंस का प्रिंट निकालकर दे दिया जाएगा। वर्तमान में आरटीओ में आवेदन करना होता है। अपाइमेंट लेकर ट्रायल देना होती हैं। ट्रायल में पास-फेल का निर्धारण आरटीओ करते हैं। इसमें कई बार पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं। सेंटर खुलने के बाद कौशल विकास विभाग के डीटीआई द्वारा डायविंग लाइसेंस की पात्रता निश्चित की जाएगी। ऐसे में लाइसेंस प्रक्रिया में आरटीओ के अधिकार नहीं के बराबर रह जाएंगे।

    सभी स्कूलों का मदर इंस्टीट्यूट
    प्रदेश में ट्रेनिंग स्कूलों को निजी हाथों में न देते हुए परिवहन विभाग ने सरकारी विभाग को जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया है। इसमें कौशल विकास विभाग और पॉलिटेक्नीक कॉलेजों से स्कूलों का संचालन कराया जाएगा। प्रदेश में जितने भी स्कूल खुलेंगे उनका मदर इंस्टीट्यूट शहर में बनने वाला रिसर्च सेंटर होगा। स्कूलों में तैनात किए जाने वाले ट्रेनरों की ट्रेनिंग इस सेंटर पर होगी। सेंटर पर विशेषज्ञ भी तैनात होंगे जो ट्रेनरों, ड्रायवरों के अनुभव और दुर्घटनाओं के बिंदुओं पर रिसर्च करेंगे जिससे कि दुर्घटनाओं को कम करने की योजनाएं बनाने में मददगार होगी।

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