नई दिल्ली: बैंक यूनियनों की हड़ताल (Bank Strikes) के चलते सोमवार और मंगलवार को बैंक में कामकाज ठप हो सकता है. हालांकि सरकारी बैंकों का कहना है कि हड़ताल से आंशिक असर दिखेगा और कामकाज भी चलता रहेगा. कामकाज पर असर इस बात पर निर्भर करेगा कि कितने यूनियन हड़ताल के समर्थन में जा रहे हैं और कितने इस फैसले से वापस हो लेते हैं. चूंकि सभी यूनियन हड़ताल (Bank Union 2 days strike) के समर्थन में नहीं हैं. इसलिए माना जा रहा है कि आंशिक तौर पर ही काम प्रभावित होगा. दरअसल, ट्रेड यूनियनों (Trade Unions) ने सरकार की नीतियों के खिलाफ हड़ताल बुलाई है जिसमें बैंक यूनियन शामिल हो रहे हैं.
सेंट्रल ट्रेड यूनियन और अलग-अलग सेक्टर के यूनियनों ने एक जॉइंट फोरम बनाकर हड़ताल की चेतावनी दी है. इन संगठनों ने सोमवार और मंगलवार को कामकाज ठप करने का ऐलान किया है. इन यूनियनों का कहना है कि सरकार की जनविरोधी आर्थिक नीतियों और श्रमिक-मजदूर विरोधी पॉलिसी के चलते उन्होंने हड़ताल बुलाई है. ट्रेड और बैंक यूनियनों ने सरकार के सामने कई मांगें रखी हैं और उन मांगों को न माने जाने की सूरत में हड़ताल करने की चेतावनी दी है.
ट्रेड यूनियन सरकार से लेबर कोड रद्द करने की मांग कर रहे हैं. केंद्र सरकार एक नया लेबर कोड लेकर आई है जिसमें 3 दिन की छुट्टी और 4 दिन के काम का प्रावधान है. इसके अलावा मजदूरी और मेहनताना के लिए भी कई नियम बनाए गए हैं. इसमें न्यूनतम मजदूरी का प्रावधान है जिसमें सरकार पूरे देश में कम से कम मजदूरी तय करेगी. सरकार का अनुमान है कि नया लेबर कोड लागू होने से देश में कम से कम 50 करोड़ मजदूरों-श्रमिकों को समय पर निश्चित मजदूरी मिलेगी. ग्रेच्युटी लेने के लिए 5 साल के नियम को खत्म कर दिया गया है. ट्रेड यूनियन इस लेबर कोड का विरोध कर रहे हैं. इसके अलावा ट्रेड यूनियन किसी भी कंपनी के निजीकरण के पक्ष में नहीं हैं. सरकार ने अपनी लिस्ट में कई सरकारी कंपनियों को शामिल किया है जिनका निजीकरण होना है.
हाल में एयर इंडिया उसी का उदाहरण है. एलआईसी के विनिवेश को भी उसी नजर से देखा जा रहा है. घाटे में चल रहीं सरकारी कंपनियों को बेचकर केंद्र सरकार राजस्व घाटा पाटने की तैयारी में है. ट्रेड यूनियन ऐसे किसी भी कदम का विरोध कर रहे हैं. ये सभी यूनियन केंद्र सरकार के नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन या NMP को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. एनएमपी के जरिये सरकार कंपनियों को निजी पट्टे पर देकर किराये से कमाई चाहती है. इसमें भी कई कंपनियां और प्रॉपर्टी सरकार की लिस्ट में शामिल हैं. ट्रेड यूनियनों का यह भी मांग है कि सरकार मनरेगा के तहत मजदूरी की राशि को बढ़ाए. जहां भी ठेके पर कर्मचारी काम कर रहे हैं, उन्हें पेरोल पर या फिक्स्ड टर्म के लिए नौकरी पर लिए जाने की मांग की जा रही है.
बैंक यूनियनों की भी अपनी मांगें हैं. एआईबीईए ने इस बंद को समर्थन देने का ऐलान किया है. संगठन के महासचिव सीएच वेंकटचलम कहते हैं कि बैंक यूनियन सरकार से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण को रोकने और उन्हें मजबूत करने, बैड लोन की जल्द वसूली, बैंकों द्वारा उच्च जमा दरों, ग्राहकों पर कम सर्विस चार्ज के साथ-साथ पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग करता है. बैंक यूनियन ने एक बयान में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, निजी बैंकों, विदेशी बैंकों, सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों हड़ताल में शामिल होंगे. स्टेट बैंक ने पहले ही कह दिया है कि हड़ताल के चलते उसके काम पर आंशिक असर देखा जा सकता है.
एसबीआई ने कहा कि उसने हड़ताल के दिनों में अपनी शाखाओं और कार्यालयों में सामान्य कामकाज करने के लिए जरूरी व्यवस्था की है. एसबीआई ने कहा, इस बात की संभावना है कि हड़ताल से हमारे बैंक का काम कुछ हद तक प्रभावित हो सकता है. पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने कहा कि एआईबीईए, बैंक एम्प्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईएफआई) और ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईबीओए) ने 28-29 मार्च, 2022 को हड़ताल पर जाने का प्रस्ताव नोटिस दिया है. पीएनबी ने कहा, “बैंक ने अपनी शाखाओं और कार्यालयों में सामान्य कामकाज करने के लिए सभी व्यवस्थाएं की हैं, लेकिन संभावना है कि हड़ताल से हमारे बैंक में काम कुछ हद तक प्रभावित हो सकता है.”
बेंगलुरु मुख्यालय वाले केनरा बैंक ने कहा कि वह बैंक शाखाओं और कार्यालयों के सुचारू कामकाज के लिए जरूरी कदम उठा रहा है. हालांकि, अगर हड़ताल होती है, तो बैंक का कामकाज प्रभावित हो सकता है. निजी क्षेत्र के आरबीएल बैंक ने कहा कि उसके बैंक यूनियन एआईबीओए और एआईबीईए से जुड़े हैं और इन यूनियनों से जुड़े कर्मचारी हड़ताल में भाग ले सकते हैं. बैंक हड़ताल के दिनों में बैंक की शाखाओं/कार्यालयों के सुचारू काम के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा. हालांकि, इस बात की संभावना है कि हड़ताल से हमारी कुछ शाखाएं भी प्रभावित होंगी.
दो दिन की हड़ताल के अलावा 31 मार्च को भी बैंकों के काम पर असर देखा जा सकता है. रिजर्व बैंक ने बैंकों से सरकारी खाते के एनुअल क्लोजर में हिस्सा लेने के लिए कहा है. 2021-22 में जितने भी सरकारी ट्रांजैक्शन होंगे, उन सबको इसी वित्तीय वर्ष में दिखाना होगा. यह काम अगले साल के लिए नहीं ले जाना है. आरबीआई ने बैंकों को जारी एक अधिसूचना में कहा, सभी एजेंसी बैंकों को 31 मार्च, 2022 को सामान्य कामकाजी घंटों तक सरकारी लेनदेन से संबंधित काउंटर लेनदेन के लिए अपनी शाखाएं खुली रखनी चाहिए. सरकारी चेकों की वसूली के लिए गुरुवार को स्पेशल क्लीयरिंग किया जाएगा और आरबीआई इस संबंध में जरूरी निर्देश जारी करेगा.
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