केंद्र सरकार ने 2025 तक भारत को टीबी मुक्त राष्ट्र (TB free nation) बनाने का निर्णय लिया है, लेकिन पिछले दो सालों से वैश्विक महामारी कोरोना (global pandemic corona) के चलते देश की राजधानी दिल्ली जैसे सरकारी केंद्रों पर टीबी (क्षय रोग) की जांच नहीं होने से इनके आकड़ों में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है, हालांकि टीबी मुक्त राष्ट्र बनाने के लिए देश में कई संस्थाएं ऐसी है जो टीबी (TB or Tuberculosis) के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने का काम करती हैं। दूसरी तरफ हर साल 24 मार्च को ‘वर्ल्ड टीबी डे’ मनाया जाता है। हर बार इसकी एक थीम रखी जाती है। दुनिया भर में टीबी के कारण हर साल लाखों लोगों की मौत होती है। भारत में भी इसके मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा है।
बता दें कि साल 2021 के दिसंबर महीने में जारी किए गए एक वीडियो में हर्षिता, सबा, शबनम, आरती और तनुजा नाम की लड़कियां एक गाने पर डांस करती हुई नजर आईं। इस गाने की खास बात ये है कि ये ट्यूबरक्लोसिस यानी टीबी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए बनाया गया है। इन लड़कियों में से तनुजा और शबनम टीबी सर्वाइवर्स हैं या उन्हें टीबी चैंपियंस (TB Champions) भी कहा जा सकता है, वहीं सबा और आरती के करीबी टीबी की चपेट में आए इन सभी ने टीबी मुक्त भारत का सपना आखों में लिए “गंदी लड़की” गाने के माध्यम से लोगों को यह बताने की कोशिश की है कि इसकी जांच और इलाज मुफ्त है।
जानकारी के मुताबिक इस गाने के लिरिक्स हर्षिता ने लिखे हैं इस गाने को लिखने के पीछे का किस्सा बताते हुए हर्षिता ने कहा कि इसे लिखने का आइडिया उनको उस समय आया जब टीबी को खत्म करने के लिए वह सोशल मीडिया पर अवेयरनेस फैला रही थीं और ट्रोलर्स उन्हें ट्रोल कर रहे थे। सेंटर फॉर पब्लिक हेल्थ काइनेटिक्स, नई दिल्ली में एक शोध वैज्ञानिक हर्षिता ने 2015 में अपनी ‘क्रिएटिव एडवोकेसी’ शुरू की, उस समय उन्होंने अपना पहला गाना ‘आई वाना स्टॉप टीबी'(I wanna stop TB) जारी किया। इसके बाद उन्होंने ‘निक्षय एंथम’ लिखा इस पर काम करना उन्होंने उस समय के आसपास शुरू किया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक भारत में टीबी को खत्म करने का आह्वान किया था।
हर्षिता से मिली जानकारी के अनुसार सोशल मीडिया अकाउंट पर उनके इस काम के बारे में लोग अभद्र टिप्पणियां करने लगे। हर्षिता ने बताया कि यही वह समय था जब उन्होंने ‘तू क्या टीबी रोकेगी, तू गंदी लड़की है!’ लिख कर गाने की शुरुआत की। जिसके बाद उन्होंने सोचा कि यह गीत टीबी से जुड़े स्टिग्मा पर केंद्रित हो सकता है, क्योंकि टीबी को एक गंदी बीमारी माना जाता है और महिलाएं इससे बहुत अधिक प्रभावित होती हैं। इसके बाद वह ‘टच्ड बाय टीबी’ के जरिए सबा, शबनम, आरती और तनुजा के संपर्क में आईं। आपको बता दें कि ‘टच्ड बाय टीबी’ टीबी सर्वाइवर्स या ‘टीबी चैंपियंस’ का एक ग्रुप है जहां लोग अपने अनुभवों को साझा करते हुए इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाते हैं। जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, टीबी की जांच को लेकर हुई देरी से संक्रमण की अवधि बढ़ सकती है, उपचार में देरी हो सकती है और बीमारी की गंभीरता भी बढ़ सकती है।
हर्षिता का कहना है, ‘टीबी से पीड़ित व्यक्ति भेदभाव के डर से मदद लेने में असमर्थ हो सकता है, जिससे उपचार में देरी हो सकती है। यह देरी बीमारी को और बढ़ा देती है। टीबी से ग्रसित इंसान स्टिग्मा के कारण हो सकता है कि मरीज ट्रीटमेंट कराना ही बंद कर दे। टीबी का इलाज संभव है, खासकर जब इसके बारे में जल्दी पता चल जाए( जबकि पलमोनरी टीबी, जो फेफड़ों को प्रभावित करती है, संक्रामक है। एक्स्ट्रा पलमोनरी टीबी (ईपीटीबी) नहीं है।
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