नई दिल्ली: यूक्रेन में रूसी सेना (Russian army) के हमले जारी हैं और इस जंग को करीब एक महीने का वक्त बीत चुका है. रूस अपनी खुफिया एजेंसियों की वजह से दुनियाभर में मशहूर रहा है और वहां कुछ ऐसी जगहें भी हैं जिनका रहस्य आज तक कोई नहीं जान पाया है. ऐसी ही एक जगह पूर्व रूस के साइबेरिया इलाके में है, जिसे खदानों का शहर कहा जाता है. इस शहर का नाम है मिर्नी जो दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है.
‘डेलीस्टार’ की खबर के मुताबिक मिर्नी शहर एक बहुत बड़ी हीरे की खदान के आसपास बना हुआ है. यह खदान 1772 फीट से ज्यादा गहरी है जिसका व्यास करीब 4 हजार फीट है. यह दुनिया की सबसे बड़ी खदान में से एक है और माना जाता है कि इसमें कई रहस्यमयी हीरे मौजूद हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हीरे की खदान का यह गड्ढा ऊपर से गुजरने वाली किसी भी चीज को भीतर खींच सकता है. यहां तक कि ऊपर उड़ने वाले छोटे हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर भी इसकी चपेट में आ सकते हैं.
मिर्नी शहर को 1955 के आसपास बसाया गया था, जब सोवियत संघ सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान फिर से खुद को तैयार कर रहा था. माना जाता है कि यह पूरा शहर खंबों के ऊपर बसा हुआ है और यहां रहने वाली ज्यादातर आबादी अलरोसा नाम की एक कंपनी के लिए काम करती है. इस शहर की जमीन का ज्यादातर हिस्सा पर्माफास्ट से ढका हुआ रहता है और गर्मी के दिनों में यहां की जमीन कीचड़ में बदल जाती है. खंबे के ऊपर बने हुए घर लोगों को कीचड़ और पानी से बचाते हैं.
इस इलाके में इतनी सर्दी पड़ती है कि गाड़ियों के टायर तक फट जाते हैं और तेल जम जाता है. हीरों की खोज के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि सर्दियों में यहां टेंपरेचर माइनस 40 डिग्री तक चला जाता है. साल 1957 के दौरान इस शहर में हीरों के निशान मिलने के बाद खदान निर्माण का आदेश हुआ था. लेकिन यहां मौसम की वजह से यह काम काफी मुश्किलों भरा रहा. इसी वजह से कई बार खदान को बंद भी किया जा चुका है.
साल 1960 से ऑपरेशनल होने के बाद खदान से कई बेशकीमती हीरे निकाले जा चुके हैं. इसी खदान से 342 कैरेट का येलो डायमंड खोजा गया था जो कि किसी भी देश में मिला अब तक का सबसे बड़ा डायमंड था. लेकिन साल 2004 में अचानक इस खदान को बंद कर दिया गया था. इसकी वजह बताते हुए अधिकारियों ने कहा था कि यहां खुदाई मुमकिन नहीं है और इसके रहस्यों से पर्दा उठा पाना भी मुश्किल है.
इस बड़े से गड्ढे के ऊपर नो फ्लाई जोन बनाया गया था क्योंकि डर था कि कहीं किसी प्लेन को यह खदान भीतर न खींच ले. खदान की गहराई की वजह से छोटे प्लेन और हेलीकॉप्टर के अंदर जाने का डर बना रहता है. इसकी वजह हवा के दबाव को माना जाता है. खदान की सतह की गर्म हवा जब अंदर से आने वाली गर्म दवा से मिलती है तो एक तरह का ताकतवर बवंडर बनता है और वह किसी भी चीज को गहराई में खींच सकता है.
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