भोपाल। मप्र देश में सबसे ज्यादा गेंहूं की पैदावार करने वाला राज्य का तमगा हासिल कर चुका है। अब मप्र गेहंू निर्यातक राज्य भी बनने जा रहा है। रुस-यूके्रन युद्ध की वजह से पश्चिम एवं एशिया के देशों में गेहूं की मांग बढ़ी है। इस मांग को पूरा करने में मप्र का गेहूं भी निर्यात किया जाएगा। इसको लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज दिल्ली में देश के सभी पोर्ट अफसरों, निर्यातक एक्सपर्ट के साथ बैठक कर रहे हैं। संसद भवन में हो रही बैठक में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल हैं। मप्र के गेहूं को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए आज की अहम बैठक है। क्योंकि मप्र के गेहूं के लिए विदेशों के द्वार खुल सकते हैं। साथ ही मप्र के गेहूं को सरवती का टैग भी मिल सकता है। इससे पहले मप्र सरकार पिछले सालों में खरीदा गया गेहूं निर्यात करने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसकी पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। दिल्ली बैठक में हिस्सा लेने के लिए मुख्यमंत्री आज अल सुबह की दिल्ली रवाना हो गए।
नान के पास है 37 लाख टन गेहूं
मप्र नागरिक आपूर्ति निगम के पास पिछले सालोंं में खरीदा गया 37 लाख टन गेहूं गोदामों में रखा है। जिसमें से 2 लाख टन गेहूं बेचने की टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। 5 लाख टन गेहूं को बेचने के टेंडर हो चुके हैं। जबकि 30 लाख टन गेहंू को बेचने की जल्द ही प्रक्रिया शुरू होगी। खास बात यह है कि नान को गेहूं की कीमत 2300 रुपए प्रति क्विंटल तक मिली है। जो कि अब तक की सबसे बेहतर कीमत है। नान के पास वह गेहूं बचा है जो चमकबिहीन है और उसे पिछले दो साल से भारतीय खाद्य निगम ने नहीं उठाया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चाहते हैं कि वैश्विक मांग को देखते हुए मप्र के गेहूं को ग्लोवल पहचान मिले।
140 लाख टन उपार्जन की तैयारी
इस बार मप्र सरकार ने 140 लाख मीट्रिक टन गेहूं के उर्पाजन की तैयारी की है। हालांकि फिलहाल बाजार में किसानों को समर्थन मूल्य से ज्यादा भाव मिल रहे हैं। वैश्विक मांग को देखते हुए इस बार खुले बाजार में गेहूं के दाम समर्थन मूल्य से ज्यादा रहने की संभावना है। ऐसे में सरकारी एजेंसियों को इस बार उपार्जन से राहत मिल सकती है।
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