इस्लामाबाद। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष को लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सुझाव दिया कि इस संकट का समाधान ढूंढने के लिए मुस्लिम देशों और चीन को साझेदारी करनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने आगाह भी किया कि दुनिया ‘शीत युद्ध’ और प्रतिद्वंद्वी गुटों की राजनीति के चलते गलत दिशा की ओर जा रही है।
इमरान खान ने यह बातें इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के विदेश मंत्रियों की परिषद (CFM) की दो दिवसीय बैठक के उद्घाटन सत्र में मुख्य भाषण देते हुए कहीं। यह बैठक मंगलवार को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में मुस्लिम देशों के सामने आने वाली चुनौतियों पर विचार-विमर्श करने के लिए शुरू की गई।
ओआईसी की यह 48वीं सीएफएम बैठक है। इसका विषय ‘एकता, न्याय और विकास के लिए साझेदारी विकसित करने’ पर है। इसमें लगभग 46 सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व वहां के मंत्री और बाकी देशों की नुमाइंदगी उनके वरिष्ठ अधिकारी कर रहे हैं। इसमें चीन के विदेश मंत्री वांग यी विशेष अतिथि के रूप में हिस्सा ले रहे हैं।
‘दुनिया जिस ओर बढ़ती जा रही है वह सबके लिए हानिकारक है’
इमरान खान ने अपने संबोधन में मुस्लिम कल्याणकारी देश, इस्लामोफोबिया और वैश्विक राजनीतिक मामलों की अपनी अवधारणा के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि दुनिया एक शीत युद्ध की ओर जा रही है और इसे गुटों में विभाजित किया जा सकता है। दुनिया एक ऐसी दिशा की ओर बढ़ रही है जो हम सभी के लिए चिंताजनक है।
प्रधानमंत्री इमरान खान ने सुझाव दिया कि ओआईसी के विदेश मंत्रियों को इस बात पर चर्चा करनी चाहिए कि यूक्रेन में मध्यस्थता, युद्धविराम और संघर्ष को समाप्त करने के प्रयास कैसे किए जा सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि अगर रूस-यूक्रेन युद्ध जारी रहा, तो इसके दुनिया के लिए गंभीर परिणाम होंगे।
‘इस्लामोफोबिया के खिलाफ मुस्लिम देशों के कदम उठाने चाहिए’
उन्होंने कहा कि हम चीनी विदेश मंत्री के साथ इस बात पर चर्चा करेंगे कि ओआईसी चीन के साथ मिलकर यूक्रेन में युद्ध को किस तरह से रोक सकता है और इसका समाधान निकाल सकता है। इस्लामोफोबिया को लेकर खान ने कहा कि दुर्भाग्यवश, हमने इसके खिलाफ कुछ नहीं किया। मुस्लिम देशों के प्रमुखों को कुछ कदम उठाने चाहिए थे।
वहीं, अफगानिस्तान में हालात को लेकर उन्होंने कहा कि प्रतिबंधों और अफगानिस्तान की नई सरकार को मान्यता नहीं दिए जाने के कारण वहां मानवीय संकट हो सकता है। इससे आतंकवाद का मुकाबला करने की उसकी क्षमता प्रभावित हो सकती है। ओआईसी पाकिस्तान सहित मुस्लिम बहुल देशों का 57 सदस्यीय समूह है।
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