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    महाकाल के दरबार में रंग पंचमी की धूम, टेसू के फूलों से बना रंग उड़ाया

  • March 22, 2022

    उज्जैन। विश्वप्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर (World famous Jyotirlinga Mahakaleshwar Temple) में रंगपंचमी पर रंगों का उल्लास नजर आया। भगवान महाकाल (Lord Mahakal) को टेसू के फूलों का रंग चढ़ाया। गर्भगृह से नंदी हॉल तक केसरिया रंग उड़ाया गया। भस्मारती के दौरान भी बाबा महाकाल को प्राकृतिक रंग अर्पित किया और भक्तों पर रंग डाला गया। पण्डे, पुजारी और श्रद्धालु हर्बल रंगों से सराबोर दिखे। टेसू से तैयार केसरिया रंग को गर्भगृह (sanctum sanctorum) से नंदी हॉल तक उड़ाया गया। परंपरा के अनुसार सबसे पहले पुजारियों ने बाबा महाकाल को टेसू के फूलों से बना रंग लगाया।

    आपको बता दे की होली की ही तरह रंगपंचमी (Rangpanchami) भी सबसे पहले महाकाल के आंगन में ही मनाई जाती है। तड़के भस्मारती से इसकी शुरुआत होती है। मंगलवार को भस्मारती में भगवान महाकाल को टेसू के फूलों से बना रंग चढ़ाया गया। भस्मारती में पहुंचे श्रद्धालुओं पर भी रंग डाला गया। पंडे-पुजारियों ने जमकर रंग खेला तो भक्त भी रंगों से सराबोर दिखे। महाकाल के आंगन में होली उत्सव के बाद शहरवासियों ने रंग पर्व की शुरुआत की। यहां रंग-तरंग की मस्ती में युवा रंग व गुलाल से होली खेलते नजर आए।


    शहर के हर मोहल्ले में लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर रंगपंचमी का पर्व मना रहे थे। कोरोना काल के दो साल बाद इस बार रंगपंचमी पर लोगों का उत्साह देखने लायक है। शाम को महाकाल मंदिर, सिंहपुरी, कार्तिक चौक तथा भागसीपुरा से पारंपरिक गेर (Traditional Gare from Bhagsipura) निकाली जाएगी। श्रद्धालु बैंड बाजे व ढोल ढमाकों के साथ शौर्य व विजय के प्रतीक ध्वज निशान लेकर निकलेंगे।

     

    रंगपंचमी पर सुबह ही टेसू के फूलों (Tesu’s flowers) से रंग तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। करीब तीन से पांच क्विंटल टेसू के फूल मंगवाए गए थे। इन फूलों का रंग बनाकर महाकाल को अर्पित किया गया। कोरोना के कारण जो भक्त दो साल से महाकाल के साथ रंग खेलने से वंचित थे, उन्होंने इस बार रंगपंचमी पर खूब रंग उड़ाया।

    परंपरा के अनुसार सबसे पहले पुजारियों ने बाबा महाकाल को टेसू के फूलों से बना रंग लगाया। आरती के दौरान रंग को श्रद्धालुओं पर फेंका। रंगपंचमी पर महाकाल का भांग, चंदन और सूखे मेवे से शृंगार किया गया। पंचामृत अभिषेक पूजन के बाद भस्म अर्पित की गई। त्रिनेत्र रूपी, मस्तक पर रजत त्रिपुण्ड और सिर पर शेषनाग रजत मुकुट धारण किया। रुद्राक्ष और फूलों की माला अर्पित की गई।

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