इंदौर। कोरोना का प्रकोप पूरे देशभर में ही घट गया है, जिसके चलते वैक्सीनेशन की प्रक्रिया भी धीमी हो गई। वैसे बड़ी आबादी का पूर्ण वैक्सीनेशन भी हो चुका है। इंदौर में ही 18 साल से अधिक उम्र की शत-प्रतिशत आबादी को दोनों डोज लग चुके हैं और फ्रंट लाइन वर्करों के साथ-साथ 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को प्रिकॉशन डोज भी दिए जा रहे हैं। वहीं कोविशील्ड का अब बम्पर स्टॉक हो गया है, जिसके चलते अब दूसरे डोज की समयावधि भी घटा दी गई है।
केन्द्र सरकार ने शुरुआत में कोविशील्ड वैक्सीन ही अधिक लगवाई, उसके बाद कोवैक्सीन भी मिलने लगी, जिसका दूसरा डोज अभी भी 28 दिन बाद लगाया जा रहा है। मगर कोविशील्ड की कमी के चलते इसका दूसरा डोज 15 से 16 हफ्ते बाद लगाना तय किया, यानी 80 दिनों का अंतर दूसरे डोज के लिए रखा गया।
इसके पीछे हकीकत यह रही कि वैक्सीन का टोटा था, जिसके कारण वैज्ञानिक आधार का नाम देकर दूसरे डोज की अवधि बढ़ाई गई। मगर अब कोविशील्ड का बम्पर स्टॉक हो गया और चूंकि 6 महीने ही इसकी एक्सपायरी की समय सीमा रहती है और लाखों वैक्सीन के डोज बर्बाद भी हो रहे हैं। यही कारण है कि अब कोविशील्ड की दूसरे डोज की अमयावधि घटा दी। इंदौर में ही लाखों कोविशील्ड के डोज पड़े हैं, क्योंकि अब वैक्सीनेशन में लोगों की रूची कम हो गई।
23 मार्च से 12 से 14 साल के बच्चों को लगेंगे
केन्द्र सरकार ने 12 से 14 साल के बच्चों के लिए कोर्बेवैक्स वैक्सीन को अनुमति दी है। अभी होली-रंगपंचमी के कारण बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू नहीं हुआ, जो अब 23 मार्च से होना है। स्कूलों और निर्धारित केन्द्रों पर ही ये वैक्सीन बच्चों को लगेगी और गर्मी के चलते वैक्सीन के पहले बच्चों को ओआरएस घोल भी दिया जाएगा। 70 हजार से अधिक डोज बच्चों के वैक्सीन के लिए भी इंदौर जिले को मिल चुके हैं। इसके पहले 14 से 18 साल की उम्र के बच्चों को वैक्सीन लगवाई गई थी।
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