उज्जैन। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के विश्व प्रसिद्ध महाकाल की नगरी (world famous city of mahakal) उज्जैन में होली पर्व पर हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे की अनोखी मिसाल देखने को मिलती है। यहां विगत 50 वर्षों से 100 से अधिक हिन्दू व मुस्लिम भाई होली पर्व पर होलिका का दहन साथ करते आ रहे हैं और एक दूसरे पर रंग गुलाल उड़ा कर त्योहार की शुरुआत करते है। होली का पर्व आपसी भाई चारे का प्रतिक माना जाता है। इस पर्व पर सभी धर्मों के लोग आपस में मिल जुलकर त्यौहार मनाते है। वहीं उज्जैन (Ujjain) में बीते 50 वर्षो से घी मंडी में जलने वाली होली गंगा जमुना तहजीब की पहचान बनी हुई है।
मुस्लिम राजा खान का कहना हैं कि ये एक वक्त पहले से समाज जन दौलतगंज स्थित चौराहे (Daulatganj intersection) पर हिन्दू भाइयों के साथ पर्व मना रहे हैं। जिससे आपसी भाई चारा बना रहे एकदूसरे के प्रति कोई गलत भावना न रहे, उसी परंपरा को हम निभा रहे है। खास बात यह है कि ये पर्व हम विगत दिनों मृत्यु को प्राप्त हुए लोगो को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से मनाते है। इसके बाद रंगपंचमी पर परिवार व समाज के साथ होली खेलते है।
दरअसल शहर के दौलतगंज चौराहा के आस पास घी मंडी का कारोबार है। जहां हिन्दू-मुस्लिम (Hindu-Muslim) सालों से व्यापार करते आ रहे है और सभी व्यापारी एक साथ होली पर्व को मनाते है। किसी के यहां मृत्यु होने पर सभी एक्साथ रंग डालने जाते है। हर पर्व को साथ मनाते है। मुस्लिम कहते है हमे इससे कोई आपत्ति नहीं है, ये तो असामाजिक तत्व है जो हमेशा माहौल बिगाड़ने में लगे रहते है। हमारा उद्देषय एकता व भाई चारा कायम रखना है।
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