नई दिल्ली। कैपिटल गेन टैक्स (Capital gain tax) में बदलाव को लेकर मीडिया में चल रही खबरों का वित्त मंत्रालय (Finance ministry) ने खंडन किया है। वित्त मंत्रालय ने कहा कि फिलहाल कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gain Tax) के स्ट्रक्चर में किसी तरह के बदलाव की योजना नहीं है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव की तैयारी चल रही है। यह पूरी तरह आधार विहीन है। अगले बजट में सरकार रेवेन्यू कलेक्शन (Revenue collections) को बढ़ाने के लिए कैपिटल गेन टैक्स में बदलाव कर सकती है। इस मुद्दे पर वित्त मंत्रालय विचार कर रहा है।
फाइनेंस मिनिस्ट्री (finance ministry) के सामने इस संबंध में पेश प्रस्ताव में कहा गया कि शेयर बाजार (कैपिटल मार्केट) से कमाई पर लगने वाला टैक्स किसी भी बिजनेस से होने वाली आय पर लगने वाले टैक्स से कम नहीं होना चाहिए। इसी के मद्देनर कैपिटल गेन्स टैक्स के ढांचे में बदलाव की बात कही गई। लेकिन वित्त मंत्रालय ने इसे खारिज कर दिया। 1 अप्रैल 2019 से लागू कैपिटल गेन्स टैक्स के नियमानुसार लिस्टेड इक्विटी पर एक साल से ज्यादा के लिए एक लाख से ऊपर के लाभ पर 10 प्रतिशत लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना होता है।
वहीं एक साल से कम समय के लिए रखे गए शेयर पर 15 प्रतिशत के हिसाब से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स का भुगतान करना होता है। कैपिटल गेन (Capital Gain) को हिंदी में पूंजी लाभ कहते हैं। यानी किसी पूंजी से होने वाले फायदे के ऊपर लगने वाला टैक्स। यह पूंजी आपका घर, संपत्ति, जेवर, कार, शेयर, बॉन्ड कुछ भी हो सकता है।
इनमें से किसी भी चीज को खरीदने और बेचने के बीच का जो फायदा होता है, उसे कैपिटल गेन कहते हैं और इस पर लगने वाले टैक्स को कैपिटल गेन टैक्स कहते हैं। सरकार कैपिटल गेन को आपकी इनकम मानती है। यानी किसी संपत्ति को खरीदने और फिर उसे बेचने से होने वाले फायदे पर लगने वाला टैक्स कैपिटल गेन्स टैक्स कहलाता है।
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