नई दिल्ली. जीरो कोविड पॉलिसी का सख्ती से पालन करने वाला चीन एक बार कोरोना (corona) के बढ़ते केसों की वजह से परेशान हो गया है. स्थिति इतनी विस्फोटक (explosives) हो चुकी है कि अब फिर कई इलाकों में लॉकडाउन लग चुका है और लोगों पर कई तरह की पाबंदियां हैं. इस समय चीन में ओमिक्रॉन (omicron) का सबवैरिएंट BA.2 मामलों में तेजी लेकर आया है.
सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में मिला ये सबवैरिएंट अब चीन के अलावा पश्चिमी यूरोप में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहा है. विश्व स्वास्थ संगठन मानता है कि BA.2 के पास ग्रोथ एडवांटेज जरूर है लेकिन ये ज्यादा घातक नहीं है. वहीं क्योंकि चीन जैसे देशों ने जीरो कोविड पॉलिसी पर ज्यादा जोर दिया, इसी वजह से वहां पर हर्ड इम्यूनिटी वाली स्टेज पैदा नहीं हो पाई. सारा फोकस टीकाकरण पर दिया गया. इसके अलावा वैक्सीन (Vaccine) को लेकर कुछ भ्रामक खबरें भी वहां वायरल रहीं, उसका असर भी चीन में देखने को मिल गया.
वहीं डॉ राजीव जयदेवन जो कि IMA-Kochi की रिसर्च सेल के हेड हैं वो मानते हैं कि भारत और चीन की स्थिति में काफी फर्क है. उन्होंने कहा है कि भारत में इन्फेक्शन, रीइन्फेक्शन और ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन काफी देखने को मिला है, इस वजह से यहां पर लोगों की इम्यूनिटी में थोड़ा इजाफा देखने को मिला है. डॉक्टर राजीव की माने तो इसी कारण की वजह से तीसरी लहर के दौरान मामले जितने तेजी से बढ़े, उतनी तेजी से घट भी गए.
लेकिन इस सब के बीच वैक्सीन की बूस्टर डोज को लेकर चर्चा लगातार होती रही. भारत में 60 उम्र से ज्यादा वाले लोगों के लिए बूस्टर को मंजूर जरूर किया गया, लेकिन अभी सभी के लिए ये अनिवार्य नहीं है. इस बारे में डॉक्टर जयदेवन बताते हैं कि दूसरी डोज लगने के बाद जो भी अगली वैक्सीन की डोज लगती है, वो पिछले की तुलना में कमजोर रहती है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया भारत में जो वैक्सीन अभी लग रही हैं, वो ओमिक्रॉन को कवर नहीं करती हैं. लेकिन स्टडी के जरिए इतना पता चल गया है कि वैक्सीन की दो खुराक लेने से बीमारी घातक नहीं होती है और मरीज को बचाया जा सकता है.
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