इंदौर। जालसाजी के एक मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली, 42 लोगों को आरोपी भी बना दिया, लेकिन अभी तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी में पुलिस दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। कनाडिय़ा थाने में रमेश संघवी निवासी विजय नगर की शिकायत पर पुनीत अग्रवाल, अशोक कुमार, नितिन अग्रवाल, जगदेवी अग्रवाल, रजनी अग्रवाल, नीलम अग्रवाल, ललित अग्रवाल, नेहा अग्रवाल, मुकेश अग्रवाल, शकुंतला अग्रवाल, चंद्रप्रकाश अग्रवाल, मोहित अग्रवाल, नवीन अग्रवाल, नरेश अग्रवाल, ज्योति अग्रवाल, गौरव अग्रवाल, सोनम अग्रवाल, सपना अग्रवाल, अंकुर पांडे, रेणु अग्रवाल, डॉ. रमेश बदलानी, शकुंतला बदलानी, मनीष खटवानी, विजयलक्ष्मी खटवानी, भारती नवलानी, जयप्रकाश चौकसे, अनुपम चौकसे, श्वेता चौकसे, पूनम चौकसे, पूजाश्री चौकसे, धर्मेंद्र गुप्ता, अशोक राय, संदीप शिवहरे, राजेश अग्रवाल, पार्थ सूर्यवंशी, विजेंद्र ओझा, मनोजसिंह, राकेश धाकरे, वेदप्रकाश भार्गव, विशाल शिवहरे और विराट जायसवाल के खिलाफ जालसाजी सहित कई धाराओं में केस दर्ज किया है। यह केस कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज हुआ है। आस्था फाउंडेशन फॉर एजुकेशन सोसायटी ने सालों पहले कनाडिय़ा गांव में मॉडर्न मेडिकल कॉलेज की स्थापना की थी। वर्तमान में इसका नाम बदलकर एलएनसीटी कॉलेज कर दिया गया। 2016 में इसके अध्यक्ष डॉ. बदलानी और सचिव रमेश संघवी चुने गए थे।
बाद में संघवी को फर्जी तरीके से सचिव पद से हटा दिया गया। संघवी ने रजिस्ट्रार फम्र्स एवं सोसायटी के सामने अपील की और कहा कि उन्हें 2016 में सोयायटी में सचिव पद पर चुना गया था। चुने अध्यक्ष डॉ. बदलानी ने संघवी के खिलाफ धारा 27 की जानकारी में फर्र्जी हस्ताक्षर शिकायत की, जिसे प्रथम श्रेणी जज ने मंजूर किया, जिसके आधार पर दर्ज एफआईआर की जांच में शिकायत झूठी पाए जाने पर कोर्ट में खात्मा रिपोर्ट पेश की गई। डॉ. बदलानी ने इसके खिलाफ रिवीजन भी लगाई जो निरस्त हो गई, जिसके आधार पर 30 जनवरी 2016 को चुनी गई कार्यकारिणी वजूद में आ जाना चाहिए थी, लेकिन बाद में गैरकानूनी ढंग से नए सदस्यों को शामिल कर लिया गया। अपील में उन्होंने बताया कि धारा 27 में असिस्टेंट रजिस्ट्रार के यहां एक ही चुनाव तारीख में चुने गए सदस्यों की दो सूचियां पेश की गईं। इसमें एक सूची में जयनारायण चौकसे को तो दूसरी सूची में श्वेता चौकसे को अध्यक्ष बताया गया। अन्य कार्यकारिणी सदस्यों के भी अलग-अलग पद दोनों सूचियों में दर्शाए गए। दोनों सूचियां हाईकोर्ट में भी पेश की गईं। दो आरोपी अभी भी कॉलेज में मौजूद रहते हैं, लेकिन पुलिस ने दबिश नहीं दी।
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