नई दिल्ली: हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court Hijab Verdict) ने आखिरकार मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया है. इसपर तमाम राजनेताओं के बयान आने शुरू हो गए हैं. कुछ इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं, तो कुछ ने इसपर असहमति व्यक्त की है. इस मामले में एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कहा कि वह फैसले से खुश नहीं हैं और सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. टीवी9 भारतवर्ष ने उनसे बातचीत की और कुछ सवाल पूछे.
हमने पूछा कि सुप्रीम कोर्ट से भी अगर यही फैसला आया तो क्या आप मानेंगे? क्योंकि इससे पहले आप तीन तलाक और अयोध्या मामले पर भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ थे? इसपर उन्होंने कहा, ‘कौन सा गुनाह किया. ये पीछे संसद की बिल्डिंग है, जिसने संविधान बनाया है. और संविधान में मूल संरचना है. क्या अहसमत होना कयामत है. आपको क्यों तकलीफ हो रही, हम असहमति व्यक्त करेंगे ना.’
संविधान की बात कर रहे- ओवैसी
उनसे आगे पूछा गया कि क्या कोई ऐसा तंत्र है, जहां आपको लगता है कि ये फैसला अगर आया है, तो हम इसे मानेंगे? हो सकता है कि वो फैसला सही हो लेकिन आपकी राजनीतिक विचारधारा के खिलाफ हो? इस सवाल के जवाब में ओवैसी ने कहा, ‘नहीं राजनीतिक नहीं है, हम संविधान की बात कर रहे हैं. हम आपको संविधान का हवाला दे रहे हैं. हम कह रहे हैं कि धर्म की स्वतंत्रता, संस्कृति की स्वतंत्रता, विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता.’
ओवैसी ने मामले में ट्वीट किया
इससे पहले असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया था, ‘मैं हिजाब पर कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले से असहमत हूं. फैसले से असहमत होना मेरा अधिकार है और मुझे उम्मीद है कि याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील करेंगे. मुझे यह भी उम्मीद है कि अन्य धार्मिक समूहों के संगठन भी इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे.’ बता दें कर्नाटक कोर्ट ने कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है.
कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?
तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि स्कूल की वर्दी का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकती हैं. आदेश में कहा गया है, ‘हमारी राय है कि मुस्लिम महिलाओं का हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है.’ पांच फरवरी 2022 के सरकारी आदेश को जारी करने का अधिकार है और इसे अवैध ठहराने का कोई मामला नहीं बनता है.
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