भोपाल। प्रदेश में शराबबंदी को लेकर आंदोलन करने का डेढ़ साल से ऐलान कर रहीं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती अब सड़क पर उतर आई हैं। उन्होंने शराब बंदी का जो तरीका अपनाया है, उसको लेकर उनकी जमकर किरकिरी हो रही है। उमा भारती ने रविवार को राजधानी भोपाल में एक शराब दुकान में घुसकर पत्थर से बोतलें तोड़ दी थीं। उमा ने यह कदम तब उठाया, जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शुक्रवार को उनसे मिलने के लिए खुद उनके निवास पर गए थे। तब शिवराज ने कहा कि उमा भारती सरकार के शराब मुक्ति अभियान में हिस्सा लेंगी। इसके बाद भी उमा ने पत्थरबाजी शुरू कर दी। ऐेसे में अभी तक सत्ता और संगठन शराबबंदी को लेकर अभी तक उमा का मूड नहीं समझ पाए हैं। उमा ने जिस तरह से शराब दुकान में घुसकर पत्थर फेंककर बोतलें तोड़ी हैं, वह घटना अपराध की श्रेणी में आती है। लेकिन पूरा मामला राजनीति से जुड़ा है। लिहाजा मप्र भाजपा ने उमा मामले से पूरी तरह से चुप्पी साध ली है। सरकार ने भी इस मामले में कोई एक्शन नहीं लिया है। जिस तरह से उमा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मनाने के बाद भी सड़क पर उतरकर पत्थरबाजी शुरू की है,उससे लगता है कि अब उमा भारती सरकार की खिलाफत करने वाली हैं। उमा मामले में भाजपा संगठन और सरकार की ओर से कोईप्रतिक्रिया नहीं आने से उमा की जमकर किरकिरी हो रही है। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्र बताते हैं कि उमा के इस रवैए से हाईकमान भी खफा हो गया है।
मुट्ठी भर समर्थक बचे
उमा भारती अपने समर्थकों के साथ शराब दुकान पर पहुंची थी, उनके साथ पार्टी का कोई बड़ा नेता नहीं था। भाजपा में अब उनके समर्थकों की संख्या ज्यादा नहीं बची है। कल के घटनाक्रम के बाद उमा से बड़े नेताओं ने भी दूरी बना ली है।
उमा के कट्ठर समर्थक सत्ता और संगठन में एडजस्ट
उमा भारती ने जब से प्रदेश में शराबबंदी को लेकर ऐलान किया है। उसके बाद उनके कट्ठर समर्थकों की संख्या में कम हो गई है। ज्यादा समर्थक सरकार और संगठन में एडजस्ट हो गए हैं। ऐसे में अब ये समर्थक भी उमा के साथ खुलकर नहीं आ सकते हैं। खबर है कि सत्ता और संगठन में दायित्व मिलने के बाद उमा से समर्थकों ने भी दूरी बना ली है।
शराबबंदी आंदोलन पर उठ रहे सवाल
उमा भारती प्रदेश में शराब बंदी की मांग लंबे समय से उठा रही हैं। वे आंदेालन शुरू करने की पिछले एक साल से तारीख दे रही हैं, लेकिन हर बार तारीख आगे बढ़ जाती है। इस बार उन्होंने आंदोलन की शुरूआत न करते हुए सीधे आक्रामक रुख अपनाया है। जिस पर सवाल उठ रहे हैं। उमा के शराबबंदी अभियान को प्रेसर पॉलिटिक्स से जोड़कर देखा जा रहा है। उनकी इच्छा मप्र की राजनीति में लौटना है, लेकिन वे मप्र में चाहकर भी सक्रिय नहीं हो पा रही हैं। पार्टी सूत्र बताते हैं कि हाईकमान भी अब उमा भारती को पहले ही तरह गंभीरता से नहीं ले रहा है। उनकी इच्छा किसी प्रदेश का राज्यपाल बनने की है।
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