जयपुर । भारत (India) में जर्मनी के राजदूत (German Ambassador) वॉल्टर जे लिंनर (Walter J. Liner) ने कहा कि सभी देशों को अपना रुख तय करने का हक है और जर्मनी (Germany) ने यूक्रेन (Ukraine) के मसले (Issue) पर भारत के रुख ( India stand) की कभी आलोचना नहीं की है (Did not Criticize) ।
जर्मनी के राजदूत ने कहा कि उनके देश से भारत या किसी अन्य देश पर यह दबाव नहीं डाला कि वे रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग में किसी एक का पक्ष लें। उन्होंने कहा कि किसी देश को बड़ी सेना के साथ दूसरे देश पर हमला करने, अपनी इच्छा उस पर थोपने और मौत और तबाही का तांडव करने का अधिकार नहीं है। पूरी दुनिया से यह उम्मीद नहीं की जानी चाहिये कि वे इसे सहज लें।
जयपुर साहित्य समारोह से इतर की गयी बातचीत में राजदूत ने कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक झूठा किस्सा गढ़ा है और उसी के आधार पर उन्होंने यूक्रेन पर हमला किया है। यूक्रेन का नाटो की सदस्यता लेने का मामला कभी था ही नहीं। वैसे भी, सोवियत संघ के विघटन के बाद कई यूरोपीय देश अपनी इच्छा से यूरोपीय आयोग और नाटो का हिस्सा बनना चाहते थे। ऐसा नहीं है कि उन्हें नाटो जबरदस्ती ऐसा करने के लिये कह रहा है। पुतिन अपनी इच्छा के अनुसार इतिहास को तोड-मरोड़ नहीं सकते हैं और न ही यह उम्मीद कर सकते हैं कि वह इस दौर मं एक संप्रभु राष्ट्र पर हमला करें और उसका कोई परिणाम न हो। इसके अलावा दूसरे देश पर हमला करना, सीमा विवाद को हल करने का तरीका नहीं है।
राजदूत ने कहा कि रूस पर लगायी गयी सख्त पाबंदियां कारगर साबित होंगी। जर्मनी यूरोप का पावरहाउस है और रूस के ऊर्जा निर्यात का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी, इसी कारण प्रतिबंध लगाने वाले देशों में उसके शामिल होने से प्रतिबंधों का प्रभाव और घातक हो गया है।उन्होंने कहा,पुतिन ने जब क्रीमिया पर हमला किया था तब ही हमने रूस के तेल और गैस पर अपनी निर्भरता कम कर दी थी। अब नॉर्ड स्ट्रीम 2 भी रोक दिया गया है और इस साल के अंत तक रूस से आयात और अधिक घट जायेगा। उन्होंने बताया कि जर्मनी ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों और नवीकरणीय ऊर्जा से अपपी जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान दे रहा है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved