उज्जैन। संपत्ति कर वसूली में फिसड्डी नगर निगम अब आखरी के महीने में जागा है। अब 20 दिन में नगर निगम को 76 हजार से अधिक लोगों से संपत्ति कर वसूलना है अभी तक नगर निगम 48 हजार लोगों से ही संपत्ति कर वसूल पाया है। उज्जैन शहर की बात की जाए तो यहां नगर निगम में रजिस्टर्ड सवा लाख संपत्ति है जिनसे नगर निगम को हर वर्ष संपत्ति कर वसूलने हैं। इन सवा लाख में से अभी तक पूरे साल में नगर निगम का संपत्ति कर विभाग 48454 लोगों से ही संपत्ति कर वसूल पाया है। अभी भी 76770 लोगों से नगर निगम को संपत्ति कर वसूलने हैं। यदि शत-प्रतिशत नगर निगम की संपत्ति कर की वसूली होती है तो आंकड़ा करीब 55 करोड़ तक पहुंच सकता है। नगर निगम का संपत्ति कर वसूलने वाला आमला ठीक ढंग से काम नहीं करता है।
इसी के चलते हर साल संपत्ति कर का आंकड़ा 25 और 27 करोड़ ही हो पाता है। मतलब साफ है कि जो लक्ष्य दिया गया है उसके अनुरूप 30 से 35 प्रतिशत ही संपत्ति कर की वसूली हो पाती है। वर्तमान में भी 10 मार्च तक संपत्ति कर के नगर निगम ने 23 करोड़ 94 लाख रुपए वसूल किए हैं। अभी भी पिछले साल के आंकड़े से करीब 4 करोड़ से अधिक रुपए और वसूलना हैं, तब जाकर पिछले साल के आंकड़े की बराबरी हो पाएगी।
जल कर की राशि भी 4 करोड़ से अधिक की लेना है
शहर से जलकर वसूली की बात की जाए तो इसमें भी पीएचई विभाग फिसड्डी ही है। हर साल जल कर के 10 करोड़ के आसपास रुपए वसूल ना रहते हैं लेकिन इस वर्ष भी अभी तक 6 करोड़ 15 लाख रुपए पीएचई ने मार्च माह तक वसूले हैं। अब 20 दिन में 4 करोड़ रुपए वसूलना है इसके लिए पीएचई को अब लोक अदालत का ही सहारा है।
500 बड़े बकायेदारों को अपर आयुक्त ने लिखा है पत्र
1 लाख रुपए अधिक के नगर निगम के 500 बड़े बकायेदारों जिन्होंने अभी तक कर नहीं भरा है। इनसे करीब 5 करोड़ रुपए की राशि बाकी है। पत्रकार वार्ता में नगर निगम के उपायुक्त आदित्य नागर ने बताया कि इन सभी को मैंने व्यक्तिगत पत्र लिखा है और संपत्ति कर भरने को कहा है और अब आने वाले दिनों में नगर निगम की टीम घर घर पहुंचेगी और इनसे राशि वसूले कि इसके अलावा 50 हजार रुपये से अधिक के 1653 बकायादार हैं जिनसे दो करोड़ रुपए की राशि वसूलना है।
कनेक्शन और संपत्तियों में बड़ा अंतर
बात जलकर की की जाए तो शहर में पीएचई ने जो आंकड़े दिए उसके अनुसार 63308 कनेक्शन शहर में है और नगर निगम के पास संपत्तियों की रजिस्टर्ड संख्या 125000 है। ऐसे में करीब 62 हजार के करीब संपत्ति या ऐसी है जिन से जलकर नहीं आता है। इस संबंध में जब कल पीएचई के कार्यपालन यंत्री श्री उपाध्याय से पूछा गया कि संपत्ति और नल के कनेक्शन संख्या में इतना बड़ा अंतर है तो बाकी लोग अपने लिए जल का प्रबंध कहां से करते हैं तो ऐसे में पीएचई के कार्यपालन यंत्री बगले झांकते नजर आए और कहां हैंडपंप ट्यूबवेल और इनसे भी कई लोग अपने पानी की व्यवस्था करते हैं तो पत्रकारों ने उनसे पूछा कि इतनी बड़ी संख्या में शहर में ट्यूबवेल और अन्य संसाधन है ऐसा आप मानते हैं तो वह चुप हो गए।
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