रांची । चारा घोटाला मामले के सजायाफ्ता बिहार (Bihar) के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) को शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट से जमानत नहीं मिल सकी। लालू प्रसाद यादव की होली फिलहाल जेल में ही मनेगी। सुनवाई के दौरान जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत ने लोअर कोर्ट (lower court) का रिकॉर्ड मंगाने का निर्देश दिया है।
अदालत ने कहा कि अगर सीबीआई लालू की जमानत याचिका पर जवाब देना चाहती है, तो कोर्ट में दाखिल कर सकती है। मामले में अगली सुनवाई एक अप्रैल को होगी। बताया जाता है कि अधिवक्ता ने लालू यादव को कोर्ट के फैसले के बारे में जानकारी दी तो उन्होंने बस इतना ही कहा कि इ त होखही के रहल ह।
लालू यादव के वकील देवर्षि मंडल का कहना है कि लालू प्रसाद यादव आधी सजा जेल में काट चुके हैं। इसके अलावा वह 17 प्रकार की बीमारियों से जूझ रहे हैं। इसलिए उन्होंने अदालत से लालू प्रसाद यादव को जमानत देने की गुहार लगाई थी। न्यायालय के फैसले पर परिवार से लेकर समर्थकों तक की निगाहें थी लेकिन सबको मायूसी हाथ लगी।
21 फरवरी को अदालत ने सुनाई थी लालू को सजा
डोरंडा कोषागार से कुल 139.35 करोड़ की अवैध निकासी हुई थी। लंबे समय तक इस मामले की सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई चली। अंतत: 14 फरवरी को अदालत ने इस मामले में लालू यादव को दोषी ठहराया। इसके बाद 21 फरवरी को ऑनलाइन सुनवाई में लालू यादव को अदालत की ओर से पांच साल जेल और 60 लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई।
चार मामलों में लालू यादव को मिल चुकी है जमानत
लालू यादव को चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी के दो मामलों में जमानत मिल चुकी है। इसी तरह देवघर और दुमका कोषागार से अवैध निकासी मामले में भी जमानत मिल चुकी थी।
डोरंडा ट्रेजरी घोटाला
डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के इस मामले में पशुओं को फर्जी रूप से स्कूटर पर ढोने की कहानी है। यह उस वक्त का देश का पहला मामला माना गया जब बाइक और स्कूटर पर पशुओं को ढोया गया हो। यह पूरा मामला 1990-92 के बीच का है। सीबीआई ने जांच में पाया कि अफसरों और नेताओं ने मिलकर फर्जीवाड़े का अनोखा फॉमूर्ला तैयार किया।
इतना ही नहीं विभाग ने इस दौरान क्रॉस ब्रीड बछिया और भैंस की खरीद पर 84,93,900 रुपये का भुगतान मुर्रा लाइव स्टॉक दिल्ली के दिवंगत प्रोपराइटर विजय मलिक को की थी। इसके अलावा भेड़ और बकरी की खरीद पर भी 27,48,000 रुपये खर्च किए थे। इस घोटाले की खास बात है कि जिस गाड़ी नंबर को विभाग ने पशुओं को लाने के लिए रजिस्टर में दर्शाया था वह सभी स्कूटर और मोपेड के थे।
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