उज्जैन। जिले में तमाम कोशिशों के बावजूद एड्स के मरीजों की संख्या कम नहीं हो पा रही है। वर्तमान में एड्स कंट्रोल शाखा के पास जिले के 5000 से ज्यादा मरीज रजिस्टर्ड हैं हालांकि इनमें से आधे भी अभी इलाज के लिए नहीं आ रहे हैं। एड्स एक गंभीर बीमारी है लेकिन यह लंबे इलाज से ठीक हो सकती है इसी के लिए हर जिला अस्पताल में एड्स नियंत्रण यूनिट बनाई जाती है। उज्जैन जिले में भी एड्स नियंत्रण यूनिट करीब 30 साल पहले बनाई गई थी। बीते 30 सालों में इस यूनिट में करीब 5300 मरीज रजिस्टर्ड हुए हैं जो एड्स पॉजीटिव पाए गए थे। इनमें से वर्तमान में 1947 मरीज ऐसे हैं जो इलाज के लिए एड्स नियंत्रण यूनिट आ रहे हैं और दवाइयां तथा इलाज ले रहे हैं तथा जीवित अवस्था में है।
इसके अलावा जो 3353 मरीज बचे हैं इनमें से कई की मृत्यु हो चुकी है या वह यहां से कहीं बाहर इलाज कराने जा चुके हैं। इनका स्पष्ट आंकड़ा कहीं भी नहीं है क्योंकि इस बीमारी में व्यक्ति की पहचान को छुपाया जाता है। इस संबंध में चिकित्सकों का कहना है कि यह बीमारी सिर्फ अनैतिक संबंधों से ही नहीं होती बल्कि कई बार संक्रमित सुई संक्रमित मरीज के रक्त या व्यक्ति के संपर्क में आने से भी सामान्य व्यक्ति भी इसका शिकार हो जाता है। लगातार एड्स का आंकड़ा इसलिए बढ़ रहा है क्योंकि लोग इस मामले में लापरवाही कर रहे हैं। एड्स नियंत्रण शाखा से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वर्ष भी 113 मरीज एड्स पॉजिटिव पाए गए हैं इनमें 11 महिलाएं शामिल है।
एक मरीज के इलाज पर हर साल डेढ़ लाख का खर्च
एड्स नियंत्रण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बड़े दुख की बात है कि सरकार 1 मरीज के इलाज पर सालभर में 1 लाख पचास हजार रुपए खर्च करती है। जब तक वह मरीज जीवित रहता है। इसका इलाज तब तक जारी रहता है। यानी करोड़ो रूपए खर्च होने के बाद भी कुछ लोगों की नादानी के कारण इस बीमारी का खात्मा नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा सबसे बड़े दुख की बात यह है कि इस बीमारी की चपेट में कई बेगुनाह, निर्दोष ऐसे भी हंै, जिन्होंने जीवन में कभी गलती नहीं की, मगर दूसरों की लापरवाही के चलते उन्हें मरते दम तक इसी बीमारी के जीना है।
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