भोपाल। मप्र सरकार ने हाल ही में कर्मचारियों का डीए केंद्र के समान 31 प्रतिशत कर दिया है। इससे से भी मप्र के कर्मचारी संतुष्ठ नहीं हैं। अब कर्मचारी संगठन प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मंाग को लेकर आंदोलन कर रुख करने जा रहे हैं। राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने पुरानी पेंशन को बहाल कर दिया है। अब ऐसे में मप्र सरकार पर दबाव बढऩे लगा है। ऐसे में संभावना है कि सरकार अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन योजना पर निर्णय ले सकती है।
डीएम मिलने से कमजोर पड़ी मंाग
कर्मचारी संगठनों ने पुरानी पेंशन बहाली को लेकर हाल ही में अलग-अलग बैठकें की है। हालांकि कर्मचारियों की एकजुटता को देखते हुए सरकार ने डीए 31 प्रतिशत करने का ऐलान कर दिया है। मुख्यमंत्री के इस ऐलान के बाद अप्रत्यक्ष रूप से सरकार से जुड़े कुछ कर्मचारी संगठनों के नेता और अन्य कर्मचारी संगठनों ने पिछले हफ्ते मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का अभिनंदन किया था। हालांकि इससे यह साफ है कि फिलहाल कर्मचारी संगठन अपनी मांगों को लेकर ज्यादा उग्र नहीं होंगे। क्योंकि कर्मचारियों केा सरकार की ओर से भरोसा दिलाया गया है कि उनके साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
63 साल हो सकती है रिटायमेंट की आयु सीमा
मप्र सरकार ने 2018 के चुनाव से पहले कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 60 से बढ़ाकर 62 कर दिया था। ऐसी संभावना है कि सरकार अगले चुनाव से पहले सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 63 साल कर सकती है। हालांकि इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। इस प्रस्ताव पर सरकार केा फैसला लेना बाकी है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि आयु सीमा बढ़ाने का फैसला अभी लंबित है। पिछले चुनाव की तरह सरकार इस बार भी अगले चुनाव से पहले निर्णय ले सकती है।
पुरानी पेंशन के फायदे
पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है। पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारी के वेतन से कोई पैसा नहीं कटता है। पुरानी पेंशन स्कीम में भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है। इस स्कीम में 20 लाख रुपए तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है। रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन की राशि मिलती है। पुरानी स्कीम में जनरल प्रोविडेंट फंड का प्रावधान है। जबकि नई पेंशन स्कीममें कर्मचारी की बेसिक सैलरी+ डीए का 10 फीसद हिस्सा कटता है। एनपीएस शेयर बाजार पर आधारित है। इसलिए यह पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। यहां रिटायरमेंट के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं होती। एनपीएस शेयर बाजार पर आधारित है, इसलिए यहां टैक्स का भी प्रावधान है।
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