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    रूस-यूक्रेन युद्ध से बढ़ेगी आम लोगों की परेशानी, लेकिन Punjab के गेहूं व्यापारियों के लिए हो सकता है फायदेमंद

  • March 10, 2022

    नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine War) के बीच चल रहा युद्ध ज्यादातर लोगों के लिए आफत लेकर ही आया है, लेकिन यही युद्ध कुछ क्षेत्रों के लिए अच्छा भी साबित हुआ है. सबसे ज्यादा संकट आम लोगों पर है, क्योंकि क्रूड ऑयल महंगा (crude oil expensive) होने की वजह से पेट्रोल और डीजल के दाम (price of petrol and diesel) तेजी से बढ़ने को लगभग तैयार हैं, लेकिन पंजाब के गेहूं व्यापारियों (Wheat Traders of Punjab) के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

    पंजाब (Punjab) के गेहूं व्यापारियों (wheat traders) को इससे कुछ उम्मीद बंधी है कि इस बार उन्हें फायदा हो सकता है। दरअसल, रूस और यूक्रेन दुनिया में 40 प्रतिशत गेहूं की सप्लाई करते हैं। ऐसे में पंजाब के कारोबारियों को लगता है कि यदि युद्ध लंबा खिंचा तो भारत के गेहूं की मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ेगी, जिससे किसानों और व्यापारियों को सही दाम मिलेंगे।


    2019 में रूस था सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक
    2019 के आंकड़ों के मुताबिक, रूस दुनिया में सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक देश था. वहीं, युद्धग्रस्त यूक्रेन इस मामले में पांचवें नंबर पर था। एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में 40 फीसदी गेहूं का निर्यात यही दो देश करते हैं। व्यापारियों का कहना है कि यदि युद्ध लंबा खिंचता है तो दोनों देशों से गेहूं के निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। इस स्थिति में भारत गेहूं का बड़ा निर्यातक देश बन सकता है।

    युद्ध के बाद बढ़ सकती है भारत के गेहूं की मांग
    अगर भारत की बात करें तो पंजाब में अच्छी क्वालिटी की गेहूं की उपज होती है, लेकिन उसका निर्यात सिर्फ श्रीलंका और बांग्लादेश तक ही सीमित है. यहां तक कि भारत में भी बड़ी-बड़ी कंपनियां रूस और यूक्रेन की गेहूं की ओर निगाहें रखती हैं, लेकिन व्यापारियों का कहना है कि इस युद्ध के बाद भारत के गेहूं की मांग बढ़ सकती है। पंजाब के खन्ना सिटी में एशिया की सबसे बड़ी अनाज मंडी है, लेकिन पिछले कुछ समय से यह वीरान पड़ा है। यहां खरीददार बहुत कम ही पहुंच रहे हैं. लेकिन आजकल यहां के किसान और व्यापारी रूस-यूक्रेन युद्ध पर टकटकी लगाए हुए हैं।

    200 लाख टन होगा गेहूं का भंडार
    खन्ना सिटी में गेहूं ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हरबंश सिंह रोशा (Harbans Singh Rosha) ने बताया कि युद्ध की वजह से हम बहुत परेशानी में हैं। कांडला पोर्ट पर जितनी भी गेहूं जाती है उनमें से ज्यादातर सहारनपुर और मध्य प्रदेश की होती हैं। पंजाब में अच्छी क्वालिटी की गेहूं होने के बावजूद इसका खरीददार नहीं है।

    उन्होंने कहा कि MSP बहुत कम है। हमारे पास अभी भी 40 लाख टन गेहूं का भंडार पड़ा है. फसल कटने के बाद यह 200 लाख टन हो जाएगा, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध से हमें कुछ उम्मीदें बंधी हैं। सूत्रों ने बताया कि बड़े खरीदार अडाणी और आईटीसी ने व्यापारियों से बात करनी शुरू कर दी है।

    पंजाब की नई सरकार से उम्मीद
    किसानों के राजनीतिक संगठन संयुक्त समाज मोर्चा (SSM) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल (Balbir Singh Rajewal) ने कहा कि हां, यह सही है कि यह युद्ध व्यापारियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है लेकिन किसानों के लिए नहीं. किसानों के लिए MSP की अच्छी दर ही महत्वपूर्ण है. हमें उम्मीद है कि पंजाब की नई सरकार इस बात को समझेगी।

    व्यापारियों को चुनाव नतीजों का बेसब्री से इंतजार
    खन्ना के व्यापारियों को 10 मार्च को घोषित होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव के नतीजों का बेसब्री से इंतजार है। एग्जिट पोल ने संकेत दिया है कि आम आदमी पार्टी (AAP) सत्तारूढ़ कांग्रेस को बाहर कर सकती है. ऐसे में व्यापारियों ने अपनी मांग के साथ नए मुख्यमंत्री से मिलने की योजना बनाई है। रोशा ने कहा कि गुजरात, UP और MP का गेहूं सस्ता है, क्योंकि वहां टैक्स कम है. हमें उम्मीद है कि नए मुख्यमंत्री टैक्स में कटौती करेंगे ताकि निजी व्यापारी प्रतिस्पर्धी दरों पर बिक्री कर सकें।

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