भोपाल। चाहे जंग का मैदान हो या खेल की पिच, देश चलाना हो या घर महिलाएं आज किसी भी काम में पीछे नहीं है। हर क्षेत्र में बुलंदी हासिल कर वे विश्वभर में अपनी जीत का परचम लहरा रही हैं। आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (international women’s day) के अवसर पर हम आपको मध्य प्रदेश की 10 महिला खिलाड़ियों से मिलवाते हैं, जिन्होंने न सिर्फ प्रदेश को बल्कि देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाई है।
बांधवी सिंह
शहडोल (Shahdol) जिले के सोहागपुर की बांधवी सिंह राष्ट्रीय स्तर पर राइफल शूटिंग में 16 गोल्ड, 1 सिल्वर और 2 ब्रांज मेडल जीतकर प्रदेश का नाम रोशन कर चुकी हैं। महज 22 साल की उम्र में जब बांधवी बिग(Bandhavi Big) बोर राइफल से निशाना साधती हैं,तो लोग उन्हें देखकर दंग रह जाते हैं। नेशनल प्रतियोगिताओं में बांधवी रिनाउड शॉट रह चुकी है। बांधवी शहीद जनरल बिपिन रावत की भतीजी हैं।
कावेरी ढीमर
इंदिरा सागर बांध के बैकवॉटर में अपने पिता के साथ मिलकर मछली पकड़ने का काम करने वाली कावेरी आज एमपी की गोल्डन गर्ल के रूप में जानी जाती हैं। मध्य प्रदेश के सीहोर जिले की रहने वाली कावेरी(Kaveri) ने कायाकिंग कैनोइंग में अपने श्रेष्ठ प्रदर्शन के दम पर 17 गोल्ड और 5 सिल्वर मेडल अपने नाम किए हैं। सिर्फ 19 साल की उम्र में नेशनल और स्टेट लेवल की चैंपियनशिप में दमदार प्रदर्शन कर कावेरी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी हैं। कावेरी इतनी प्रतिभावान खिलाड़ी हैं जिन्होंने जूनियर रहते हुए सीनियर कैटेगरी में गोल्ड मेडल (gold medal) जीता है।
गौरांशी शर्मा
भोपाल की रहने वाली दिव्यांग खिलाड़ी गौरांशी शर्मा(gauranshi sharma) सुन और बोल नहीं पाती लेकिन जब बैडमिंटन कोर्ट में उनका रैकेट बोलता है तो लोग चुप हो जाते हैं। गौरांशी राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 5 रजत और 1 कांस्य जीत चुकी हैं। वहीं, गौरांशी को मध्य प्रदेश सरकार 2020 में एकलव्य पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी हैं। गौरांशी उन सभी लोगों के लिए एक मिसाल हैं जो अपनी कमियों से हार मान लेते हैं और रूक जाते हैं। गौरांशी अंतरराष्ट्रीय पदक भी अपने नाम कर चुकी हैं वहीं, चीन के ताइपे में वर्ल्ड डीफ बैडमिंटन चैंपियनशिप में भारत (Bharat) का प्रतिनिधित्व भी कर चुकी हैं। जमशेदपुर में जूनियर व सब जूनियर नेशनल एथलेटिक्स गेम्स ऑफ द डीफ में गौरांशी ने कांस्य पदक हासिल किया था, भोपाल में आयोजित नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप (National Badminton Championship) में चौथा स्थान प्राप्त किया था। गौरांशी करीब 12 स्टेट लेवल टूर्नामेंट खेल चुकी हैं।
प्राची यादव
मध्य प्रदेश के ग्वालियर (Gwalior) की प्राची यादव पैरालंपिक में कैनोइंग के फाइनल में पहुंचने वाली पहली महिला खिलाड़ी हैं। बचपन से ही दिव्यांग प्राची पहले स्वीमिंग किया करती थी, लेकिन उनके लंबे हाथों को देखकर कोच ने उन्हें कैनोइंग और कायाकिंग में भाग लेने के लिए कहा। कोच की सलाह पर प्राची ने गेम बदला और वे इसमें सफल हुईं। प्राची ने सात साल की उम्र में अपनी मां को खो दिया था। ये वही साल था जब प्राची को जूनियर खेलने का मौका मिला और प्राची ने चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। उस जीत के बाद प्राची रूकी नहीं। उन्होंने 2018 में भोपाल के छोटे तालाब में प्रैक्टिस शुरू की और कठिन परिश्रम के परिणामस्वरूप 2019 में उन्होंने नेशनल में एक गोल्ड और एक सिल्वर जीता। वहीं अगस्त 2019 में हंगरी में पैरालंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट के कैनोइंग इवेंट में 8वीं पोजिशन हासिल की।
मुस्कान किरार
मध्य प्रदेश के जबलपुर की रहने वाली मुस्कान किरार ने तीरंदाजी में अद्भुत प्रदर्शन कर दुनियाभर में प्रदेश का नाम गौरवांवित किया है। जमशेदपुर में आयोजित 40 वीं सीनियर नेशनल तीरंदाजी चैंपियनशिप में मुस्कान ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया था, साथ ही 150 में से 150 अंक हासिल कर विश्व रिकॉर्ड की बराबरी करने का कीर्तिमान भी रचा था। अमेरिका के यांकटोन में आयोजित विश्व तीरंदाजी प्रतियोगिता में वे भारतीय महिला टीम का हिस्सा रहीं और देश को रजत पदक दिलाने में अहम योगदान दिया। मुस्कान ने यहां 80 में से 78 अंक हासिल कर नई गौरव गाथा लिखी। वे अब तक 14 अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। मुस्कान ने एक स्वर्ण, 6 रजत, 3 कांस्य सहित भारत को कुल 10 पदक दिलाएं हैं। एशियन गेम्स 2018 में रजत, एशियन आर्चरी चैंपियनशिप बैंकॉक थाईलैंड में 3 सिल्वर और वर्ल्ड चैंपियनशिप नीदरलैंड में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा था। मुस्कान की उपलब्धियों पर मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें 2018 में एकलव्य पुरस्कार और 2019 में विक्रम पुरस्कार से नवाजा है। नवंबर 2021 में बांग्लादेश के ढाका में आयोजित 22वीं एशियन आर्चरी चैंपियनशिप में उनका चयन भारतीय टीम में हुआ था।
चिंकी यादव
राजधानी भोपाल की युवा निशानेबाज चिंकी यादव अपने बेहतरीन प्रदर्शन से प्रदेश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन कर चुकी हैं। चिंकी ने 2019 में दोहा में हुई 14वीं एशियाई चैम्पियनशिप में दूसरा स्थान प्राप्त कर ओलंपिक कोटा जीता था। हालांकि वे कुछ नियमों के कारण ओलंपिक में भाग नहीं ले पाई थी। 25 मीटर शूटिंग रेंज स्पर्धा में चिंकी आईएसएसएफ विश्व कप और एशियन शूटिंग चैंपियनशिप में अब तक 4 स्वर्ण और 3 कांस्य पदक हासिल कर चुकी हैं।
हर्षिता तोमर
होशंगाबाद जिले के छोटे से गांव रैसलपुर की रहने वाली हर्षिता तोमर ने गांव में नौकायन की सुविधा न होने के बाद भी अपने संघर्ष से विजयी मुकाम हासिल किया और प्रदेश का मान बढ़ाया। हर्षिता ने नर्मदा की लहरों में तैरना सीखा, तैराकी में बेहद निपुण हर्षिता तोमर आज सेलिंग की अंतरराष्ट्रीय चैंपियन बन चुकी हैं। उन्होंने 2018 में एशियन गेम्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर देश में नया मुकाम हासिल किया। हर्षिता का अगला लक्ष्य ओलंपिक में देश के लिए मेडल लाना है।
इशिता चौधरी
ग्वालियर की रहने वाली इशिका चौधरी मध्य प्रदेश से एशिया कप खेलने वाली और कांस्य पदक जीतने वाली पहली खिलाड़ी हैं। अपनी कड़ी मेहनत और श्रेष्ठ प्रदर्शन के बल पर इशिता ने न सिर्फ अपनी एक अलग पहचान बनाई बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश और प्रदेश का नाम भी रोशन किया। उन्होंने 2018 में आयोजित यूथ ओलंपिक में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया था। इस ओलंपिक में भारत ने महिला हॉकी में पहली बार सिल्वर मेडल जीता था। हाल ही में इशिता का चयन भारतीय टीम में हुआ है। वे भुवनेश्वर में स्पेन के खिलाफ एफआईएच महिला हॉकी प्रो लीग में अपना हुनर दिखाएंगी। इशिका के खेल कौशल को देखते हुए राज्य सरकार ने उन्हें 2019 के सर्वोच्च खेल अवार्ड एकलव्य अवार्ड से सम्मानित किया था।
प्रज्ञा सिंह
मध्य प्रदेश की महिला खिलाड़ी हर क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाना जानती हैं। हाल ही में प्रज्ञा सिंह ने एशियन फेंसिंग चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर ये साबित कर दिया है कि महिलाओं की कलाइयां कमजोर नहीं बल्कि बेहद मजबूत हैं। एमपी के किसान की बेटी ने कजाकिस्तान में एतिहासिक जीत दर्ज कर प्रदेश का नाम तलवारबाजी जैसे चुनौतीपूर्ण खेल में रोशन किया है।
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