नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Elections) के नतीजों से पहले एक्जिट पोल (Exit Poll) के नतीजे आ गए हैं। वैसे आपके लिए हिंट ये है कि उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के लिए खबर ज्यादा अच्छी नहीं है. उत्तर प्रदेश के 15 करोड़ वोटर्स (15 crore voters of Uttar Pradesh) ने इस बार अपने लिए किस पार्टी की सरकार चुनी है. इस एग्जिट पोल का सार ये है कि जीतेंगे तो योगी ही. लेकिन अखिलेश यादव भी इस मैच में बहुत अच्छा खेले हैं।
यूपी में BSP का असर हो रहा खत्म
2017 के चुनावी मैच में अखिलेश यादव को 403 में से सिर्फ 47 सीटों पर जीत मिली थी. लेकिन इस बार के मैच में अखिलेश यादव ने योगी की टीम को कड़ा मुकाबला दिया है. हालांकि ये मुकाबला इतना भी कड़ा नहीं है कि मैच आखिरी ओवर तक पहुंच जाए. हमारे एग्जिट पोल में जो एक और बड़ी बात सामने आई है, वो ये कि इस बार मायावती की बीएसपी उत्तर प्रदेश में लगभग समाप्ति की ओर है और इस बार बीएसपी का वोट शेयर आधे से भी कम रह गया है।
10 फरवरी को पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 11 जिलों की 58 सीटों पर वोटिंग हुई थी। इन 11 जिलों में सात जिले ऐसे थे, जहां मुस्लिम वोटर्स की संख्या 25 प्रतिशत या उससे ज्यादा है. इनमें मुजफ्फरनगर जिला भी है, जहां 41 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है और जिस दिन वोटिंग हुई थी।
पहले चरण में बीजेपी आगे
एग्जिट पोल के मुताबिक पहले चरण की 58 सीटों में से बीजेपी गठबंधन को सबसे ज्यादा 34 से 38 सीटों पर जीत मिल सकती हैं. जबकि समाजवादी पार्टी और जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोक दल को 19 से 21 सीटों पर जीत मिलने का अनुमान है. मायावती की BSP को 1 से 2 सीटें मिल सकती हैं और कांग्रेस का पहले चरण में खाता भी नहीं खुला है।
दूसरे चरण में उत्तर प्रदेश के 9 जिलों की 55 सीटों पर वोटिंग हुई थी. इन 9 जिलों में सात जिले ऐसे थे, जहां 30 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम आबादी है जबकि मुरादाबाद और रामपुर में मुस्लिम आबादी 50 प्रतिशत से ज्यादा है. इसके अलावा इन 9 जिलों की 55 में से कुल 38 सीटें ऐसी थीं, जिन पर मुसलमानों के वोट बहुत अहम थे. इसी का फायदा अखिलेश यादव को मिला है.
अखिलेश ने चला ये दांव
एग्जिट पोल के मुताबिक दूसरे चरण की 55 सीटों में से समाजवादी पार्टी सबसे ज़्यादा 29 से 33 सीटें जीत सकती हैं. बीजेपी को 21 से 23 सीटें और BSP को एक से दो सीटें मिलने का अनुमान है. जबकि कांग्रेस का दूसरे चरण में भी खाता नहीं खुला है. यानी प्रियंका गांधी का चुनावी नारा, लड़की हूं, लड़ सकती हूं, जरा भी लड़ नहीं पाया है.
2017 के चुनाव में अखिलेश यादव की पार्टी इन सीटों पर इसलिए हार गई थी क्योंकि उसने मुस्लिम और यादव वोटों को एकजुट रखने के लिए मुस्लिम उम्मीदवारों को ज्यादा टिकट दिए थे, लेकिन इस बार उन्होंने ऐसा नहीं किया. इस बार उन्होंने ऐसी सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार ही नहीं उतारे, जहां मुस्लिम मतदाता जीत और हार का फैसला करते हैं।
तीसरे चरण में फिसली सपा
दूसरे चरण में जिन 55 सीटों पर वोटिंग हुई थी, उनमें 52 सीटों पर अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार थे और इनमें भी मुस्लिम उम्मीदवारों को केवल 20 टिकट दिए गए थे. जबकि मुस्लिम वोटर्स 38 सीटों पर प्रभावी माने जाते हैं. अखिलेश यादव की इसी सोशल इंजीनियरिंग की वजह से चुनाव के सेकेंड राउंड में बीजेपी पर भारी साबित होते हुए दिख रहे हैं।
हालांकि तीसरे चरण से समाजवादी पार्टी की सांसें फूलने लगती हैं और बॉक्सिंग के राउंड्स की तरह वो बीजेपी से पिछड़ती हुई दिख रही है. तीसरे चरण में कुल 59 सीटों पर वोटिंग हुई थी और एग्जिट पोल के मुताबिक, बीजेपी को इनमें 38 से 42 सीटों पर जीत मिल सकती है. समाजवादी पार्टी को 17 से 19 सीटें और कांग्रेस भी एक से दो सीटें इस चरण में जीत सकती है. जबकि BSP तीसरे चरण में खाली हाथ रही है.
अपने गढ़ में ही कांग्रेस पस्त
चौथे चरण में उत्तर प्रदेश के 9 जिलों की 59 सीटों पर वोटिंग हुई थी. इनमें पीलीभीत और बांदा जिले को छोड़कर बाकी जिले अवध क्षेत्र में आते हैं और ये कुल सात जिले हैं. इनमें लखनऊ, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली और फतेहपुर शामिल थे. एग्जिट पोल के मुताबिक, बीजेपी ने इस राउंड में भी शानदार प्रदर्शन किया है. उसे इस चरण में 41 से 45 सीटों पर जीत मिल सकती हैं. समाजवादी पार्टी को 14 से 16 सीटें, BSP को 1 से 2 सीट और कांग्रेस का इस चरण में खाता भी नहीं खुलेगा।
ये कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा झटका है, क्योंकि चौथे चरण में कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले रायबरेली में भी वोटिंग हुई थी, जहां कुल पांच सीटें हैं. पिछली बार कांग्रेस ने पूरे यूपी में जो सात सीटें जीती थीं, उनमें से दो सीटें उसे इसी जिले से मिली थीं. लेकिन एग्जिट पोल में इस बार कांग्रेस रायबरेली में अपनी इन दो सीटों को भी नहीं बचाते हुए दिख रही हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद हैं, लेकिन इस बार उन्होंने इस क्षेत्र में एक भी रैली नहीं की और प्रियंका गांधी वाड्रा भी कुछ खास कमाल नहीं कर पाईं।
आखिरी चरणों में पिछड़ गई सपा
आखिरी के तीन चरणों में अवध के आठ जिलों और पूर्वांचल के 22 जिलों में वोटिंग हुई. एग्जिट पोल के मुताबिक ये तीनों चरण बीजेपी के नाम रहे. इनमें पांचवें चरण की 61 सीटों में से बीजेपी को 36 से 40, समाजवादी पार्टी को 18 से 20, कांग्रेस को 1 से 3 और अन्य को भी इतनी ही सीटें मिलने का अनुमान है. जबकि मायावती की BSP को पांचवें चरण में एक भी सीट नहीं मिली है।
इसी तरह छठे चरण में 57 सीटों के लिए मुकाबला हुआ था और एग्जिट पोल में बीजेपी को 30 से 34 सीटें, समाजवादी पार्टी को 19 से 22 सीटें, BSP को एक से तीन और कांग्रेस को भी एक से तीन सीटें मिल सकती हैं. यानी पांचवें चरण में अखिलेश यादव ने बीजेपी को टक्कर तो दी, लेकिन ये टक्कर इतनी कड़ी नहीं थी कि बीजेपी को ज्यादा नुकसान होता. आप कह सकते हैं कि, अखिलेश यादव अच्छी बैटिंग करके भी अपनी पार्टी को इस चरण में जिता नहीं पाए।
हालांकि आखिरी चरण में बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला हुआ. एग्जिट पोल में सातवें चरण की 54 सीटों में से बीजेपी को 23 से 27 सीटें मिल सकती हैं, समाजवादी पार्टी को 22 से 26, BSP को एक से तीन, कांग्रेस को एक से दो और अन्य को भी एक से तीन सीटें मिलने का अनुमान है।
यूपी में फिर से योगी सरकार!
यूपी के पूरे एग्जिट पोल के नतीजे देखें तो इस बार बीजेपी गठबंधन को सबसे ज्यादा 39 प्रतिशत, समाजवादी पार्टी के गठबंधन को 34 प्रतिशत, BSP को 13 प्रतिशत, कांग्रेस को 6 प्रतिशत और अन्य को 8 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। यूपी की 403 सीटों में से बीजेपी को 223 से 248 सीटों पर जीत मिल सकती हैं. सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी को 202 सीटें चाहिए, यानी एग्जिट पोल में बीजेपी इस मैजिक नम्बर को आसानी से पार करती हुई दिख रही है. समाजवादी पार्टी को 138 से 157 सीटों पर जीत मिली सकती है. BSP को 5 से 11, कांग्रेस को 4 से 9 और अन्य के खाते में 3 से पांच सीटें जा सकती हैं।
एग्जिट पोल की 5 बड़ी बातें
– अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ को टक्कर तो अच्छी दी लेकिन ये टक्कर इतनी भी जबरदस्त नहीं थी कि वो समाजवादी पार्टी को सरकार बनाने की स्थिति में ला पाते. यानी एक लाइन में सार ये है कि उत्तर प्रदेश में इस बार भी योगी ही आने वाले हैं।
– अगर बीएसपी सिंगल डिजिट में सिमट जाती है तो इससे साफ हो जाएगा कि यूपी में मायावती समाप्ति की ओर हैं।
-अखिलेश यादव के मुस्लिम+यादव फैक्टर पर बीजपी का मोदी+योगी फैक्टर भारी पड़ा है. ये बात हम एग्जिट पोल के नतीजों के आधार पर कह रहे हैं।
-अगर एग्जिट पोल के नतीजे सही रहते हैं तो ये साफ हो जाएगा कि योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कोई लहर नहीं थी।
– अखिलेश यादव चाहते थे कि चुनाव में वोट जाति के आधार पर पड़े. कुछ चरणों में ऐसा हुआ तो लेकिन इसका समाजवादी पार्टी को ज्यादा फायदा नहीं मिला. क्योंकि बड़े पैमाने पर उत्तर प्रदेश में शायद धर्म के नाम पर ही वोट पड़े जिससे योगी आदित्यनाथ और बीजेपी को फायदा मिला है।
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