उज्जैन। मातृ भाषा से ही मनुष्य संवरता है और हर व्यक्ति अपनी मातृ भाषा में खुद को व्यक्त करके ही प्रगति कर सकता है। यह बात माधव कॉलेज में मातृभाषा पखवाड़े के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि पूर्व शिक्षिका डॉ. पुष्पा चौरसिया ने कही। इस दौरान उनका सम्मान भी किया गया। कार्यक्रम में कई भाषाओं का प्रतिनिधित्व हुआ। लघु कथाकार संतोष सुपेकर ने अपने विचार प्रकट किए और कविता प्रस्तुत की। अंग्रेजी भाषा में डॉ. शर्ली सिंह ने अपने विचार व्यक्त किए।
मराठी भाषा की कविता डॉ. शैलजा सावले ने प्रस्तुत की। प्रो. नलिनी तिलकर ने संस्कृत भाषा का प्रतिनिधित्व करते हुए विचार प्रकट किए। डॉ. अल्पना दुभाषे ने भी अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. रफीक नागौरी ने स्वरचित शायरी उर्दू में प्रस्तुत की। डॉ. गुलाम हुसैन ने मातृ भाषा की चर्चा करते हुए कहा कि भाषाएं हमें तोड़ती नहीं, बल्कि जोड़ती हैं। प्राचार्य डॉ. जवाहरलाल बरमैया ने कहा कि माधव कॉलेज में ऐसे रचनात्मक कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। संचालन डॉ. शोभा मिश्र ने किया। संचालन डॉ. जफर मेहमूद ने किया।
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