इंदौर। स्वच्छता सर्वेक्षण के साथ निगम अपने सालाना बजट की तैयारी में भी जुट गया है। सभी विभागों से प्रस्ताव बुलवाए गए और बजट प्रावधान और मदों के संबंध में आयुक्त ने समीक्षा भी की। मार्च अंत तक बजट को मंजूरी देने के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि एक अप्रैल से विभागवार बजट के मुताबिक काम हो सके। गत वर्ष कोरोना की दूसरी लहर के कारण मार्च की बजाय जून के पहले हफ्ते में बजट मंजूर हो सका था, जो कि 5 हजार 162 करोड़ रुपए का था और आगामी वित्त वर्ष का बजट भी इसी के आसपास रहने की उम्मीद है।
इंदौर नगर निगम का बजट इसलिए महत्वपूर्ण रहता है, क्योंकि उसमें शहर विकास से लेकर आम जनता से जुड़े प्रावधान किए जाते हैं। हालांकि विगत कई वर्षों से नगर निगम ने सम्पत्ति कर, जल कर सहित अन्य करों में सीधे वृद्धि नहीं की, बल्कि नित नए तरीकों से कर राशि अवश्य बढ़ाई जाती रही है, जिनमें सडक़ों के चौड़ीकरण या मास्टर प्लान की प्रमुख सडक़ों पर स्थित सम्पत्तियों के अलावा निगम ने झोनवार भी सम्पत्ति कर का निर्धारण कर रखा है, वहीं अभी सडक़ निर्माण के एवज में सम्पत्ति मालिकों से अलग से बेटरमेंट चार्ज की राशि भी ली जा रही है। गत वर्ष निगम ने 5162 करोड़ का बजट मंजूर किया था, जिसमें 82 करोड़ रुपए का घाटा बताया गया। हालांकि विगत कई वर्षों से निगम का बजट भी एक तरह से कॉपी-पेस्ट होता रहा है। इस बार भी 2022-23 के बजट की तैयारी निगम के सभी विभागों ने शुरू कर दी। कल आयुक्त प्रतिभा पाल ने सिटी बस ऑफिस पर विभागवार बजट समीक्षा भी की, जिसमें सभी अपर आयुक्त, उपायुक्त, विभाग प्रमुख व अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद रहे। आयुक्त पाल ने बताया कि बजट समीक्षा बैठक के दौरान रोड निर्माण, पुल-पुलिया निर्माण, चौराहों का विस्तारीकरण-चौड़ीकरण, सीवरेज लाइन, कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय में लगाए जाने वाले सीसीटीवी कैमरे, बिजली बिलों में कमी के साथ अन्य आवश्यक बजट मदों पर विस्तार से चर्चा की गई। आवश्यक संशोधन के बाद आगामी वित्त वर्ष का बजट स्वीकृति के लिए संभागायुक्त व निगम प्रशासक डॉ. पवन कुमार शर्मा के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और फिर उनकी मंजूरी के बाद निगम बजट को अंतिम रूप देकर पारित किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि निगम में अभी चूंकि चुनी हुई परिषद् नहीं है, जिसमें महापौर सहित 85 वार्डों के पार्षद ना होने के चलते बजट आसानी से बिना बहस मंजूर हो जाता है, अन्यथा पूर्व में बजट बैठक में जोरदार हंगामा होता रहा है। पहले दिन श्रद्धांजलि और उसके बाद महापौर के बजट भाषण के पश्चात अगले दिन पक्ष-विपक्ष की बहस होती है, जो लगभग दिनभर चलने के बाद किसी मुद्दे पर विपक्ष सदन का बहिष्कार कर बाहर निकल जाता है और फिर सत्ता पक्ष बहुमत के आधार पर बजट सहित अन्य सारे प्रस्तावों को मंजूरी दे देता है। इस बार भी निगम का बजट 5 हजार करोड़ के आसपास ही रहेगा। दरअसल शहर में मेट्रो सहित स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के काम भी चल रहे हैं और निगम अपनी आय बढ़ाने के उपाय भी लगातार कर रहा है।
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