नई दिल्ली । हरियाली बढ़ने के क्रम में दिल्ली (Delhi) में अब उन पशु-पक्षियों का भी आना शुरू हो गया है, जो दशकों पहले गायब हो गए थे। आज दिल्ली की नम भूमि में पाया जाने वाला सीबोल्ड सांप, छिपकली (Lizard) की एक प्रजाति लेपर्ड गेको (Leopard gecko) और बगुले (herons) की प्रजाति ब्लैक क्राउन नाइट हेरोन (black crown knight heron) देखने को मिल जाएंगे।
70 से 100 साल पूर्व ये जानवर यमुना तट पर बहुतायत दिख जाते थे, लेकिन बिगड़ती आबोहवा के कारण इनका यहां रहना संभव नहीं रहा। पिछले चार-पांच वर्षों से इनकी घर वापसी हो रही है। वन्यजीव विशेषज्ञ इसे दिल्ली के लिए काफी सकारात्मक संकेत मान रहे हैं।
यमुना जैव विविधता पार्क के वैज्ञानिक डॉ. फैयाज खुदसर बताते हैं कि कभी दिल्ली की आबोहवा साफ होने के कारण वर्तमान के रिंग रोड पर यमुना बहती थी। इसके किनारे पशु-पक्षियों का पर्यावास होता था। कई वर्षों से पूर्व राजघाट के पास ब्लैक क्राउन नाइट हिरोन मिला करता था लेकिन, साल-दर-साल आबोहवा बिगड़ने के कारण यह प्रजाति लुप्त हो गई थी। यमुना जैव विविधता पार्क की ओर से इस पक्षी को पुनर्स्थापित करने के प्रयास किए गए। अब यह यमुना जैव विविधता पार्क में दिखाई देता है।
कभी यमुना खादर में दिखा करता था पाढ़ा
डॉ. फैयाज बताते हैं कि 100 साल पहले दिल्ली के यमुना खादर इलाके में हिरन की एक प्रजाति पाढ़ा (हॉग डीयर) को देखा जाता था। उस समय इनकी संख्या भी अधिक थी, लेकिन समय के साथ हुए परिवर्तन में हॉग डीयर लुप्त होते चले गए और इन्हें जंगलों में भी देखना मुश्किल हो गया था। इसे देखते हुए वन्यजीव विशेज्ञषों ने प्रयास किया तो उन्हें पुनर्स्थापित होने में मदद मिली। अब दिल्ली के जैव विविधता पार्कों में हॉग डीयर को देखा जा सकता है।
सीबोल्ड सांप को भी देख सकते हैं लोग
दिल्ली में 70 साल पहले कीचड़ के आसपास लोगों को सीबोल्ड सांप देखने को मिलता था। मटमैला सा दिखने वाला सांप चिकने पानी के रूप में भी जाना जाता है। इसमें कम जहर होता है। हालांकि लोग इसे देखकर बहुत डर जाया करते थे, लेकिन बढ़ती आबादी और बदलते परिवेश से सांप की यह प्रजाति लुप्त होने की कगार पर पहुंच गई। हालांकि, अब इनकी संख्या बढ़ाने के लिए दिल्ली के वैज्ञानिक काम कर रहे हैं और इस सांप को यमुना जैव विविधता पार्क में देखा जा सकता है।
फिर से सुनाई देने लगी सियार की गूंज
अरावली पार्क और तिलपत वैली जैव विविधता पार्क में अब रात को सियार की गूंज सुनने को मिल सकती है। पर्यावरण विशेषज्ञों की टीम की ओर से इनकी संख्या बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसे खुले जंगल के अलावा चिड़ियाघर में देखा जा सकता है। हालांकि, यहां मौजूद सियारों को दूसरे राज्यों से लाया गया है।
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