इंदौर। क्राइम ब्रांच (crime branch) ने कल फर्जी ऋण पुस्तिका से जमानत करवाने वाले गिरोह के चार सदस्यों को गिरफ्तार किया था। आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वे इंदौर के अलावा आधा दर्जन जिलों (Apart from Indore, half a dozen districts) में फर्जी जमानत करवाने जाते हैं और उनका नेटवर्क बना रखा है। वहीं उनका कहना है कि सबसे अधिक बाहरी बदमाश फर्जी जमानत (fake bail) के लिए उनके पास आते थे। उनका यहां कोई रिश्तेदार नहीं होता। इसके लिए वे मोटी रकम देते हैं। उन्हें फर्जी जमानत के चलते दोबारा वारंट पर कोर्ट में हाजिर नहीं होना पड़ता है।
कल क्राइम ब्रांच ने करण चावड़ा (Karan Chavda), प्रकाश पिता बलवंत (Prakash Father Balwant), रमेश और कैलाश (Ramesh and Kailash) को गिरफ्तार कर 87 फर्जी ऋण पुस्तिकाएं जब्त की थीं। करण को छोडक़र बाकी आरोपी जेल चले गए हैं। करण ने पुलिस को बताया कि उनका नेटवर्क इंदौर के अलावा देवास, धार, शाजापुर, सोनकच्छ, नागदा, रतलाम में फैला वहां है। यहां भी वे कई लोगों की फर्जी जमानत करवा चुके हैं। उसका कहना है कि ज्यादातर वे लोग बाहरी बदमाशों की जमानत करवाते हैं। ये लोग मोटी रकम भी देते हैं। उनको यहां कोई जमानतदार नहीं मिलता है। फर्जी जमानत होने से बाद में वारंट पर उन्हें इंदौर नहीं आना पड़ता है, क्योंकि पुलिस फर्र्जी जमानत होने से उनका वारंट तामील नहीं कर पाती है।
खुद की जमीन पर नहीं देते थे जमानत
पुलिस को पूछताछ में पता चला है कि पकड़ाए चारों आरोपियों के पास खुद की कृषि भूमि है, लेकिन इसका उपयोग वे फर्जी जमानत के लिए नहीं करते थे। अब पुलिस उनकी जमीन की जानकारी जुटा रही है। इसके अलावा उनके मोबाइल की कॉल डिटेल (mobile call details) से गिरोह के अन्य सदस्यों तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है।
ऑनलाइन रिकार्ड जांचें तो नहीं हो फर्जीवाड़ा
पहले तो रेवेन्यू का रिकार्ड ऑनलाइन (revenue record online) नहीं होता था, इसलिए पता लगाना मुश्किल था कि की जमीन के कागजात असली है या नकली, लेकिन अब जमीन का रिकार्ड ऑनलाइन हो गया है। खसरा नंबर डालकर सत्यता की जांच की जा सकती है। जांच हो तो फर्जीवाड़े पर अंकुश लग सकता है।
महू से की थी शुरुआत
आरोपियों ने बताया कि सबसे पहले उन्होंने महू से फर्जी जमानत देने का काम शुरू किया था। चार-पांच साल से इंदौर में यह काम शुरू किया। लगभग 15 साल से उनका गिरोह सैकड़ों लोगों की जमानत करवा चुका है।
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