भोपाल। शिव पार्वती विवाह का महापर्व महाशिवरात्रि इस बार मंगलवार को शिव योग की साक्षी में आ रहा है। ग्रह गोचर की मान्यता के आधार पर देखें तो वार, तिथि, योग, नक्षत्र, करण तथा ग्रहों के संचरण का यह समय विशिष्ट अनुक्रम बना रहा है। शास्त्रीय गणना के अनुसार ग्रहों की इस प्रकार की विशिष्ट स्थित एक शताब्दी में एक या दो बार बनती है। विशेष ग्रह स्थिति व योग नक्षत्र की साक्षी में महाशिवरात्रि पर की गई शिव साधना का भक्त को पांच गुना अधिक पुण्य फल प्राप्त होता है।
सूर्य का केंद्र योग विशेष प्रभावशाली
महाशिवरात्रि पर सूर्य का केंद्र योग बनेगा। इस योग में किए जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान मनोवांछित फल प्रदान करने वाले माने गए हैं। किसी विशेष कामना को पूर्ण करने के लिए इस दिन विद्वान ब्राह्मण के माध्यम से यथोचित अनुष्ठान कराना चाहिए।
चतुग्र्रही योग का प्रभाव रहेगा
महाशिवरात्रि पर ग्रहों के परिभ्रमण की बात करें, तो इस दिन मकर राशि में मंगल, बुध, शनि तथा शुक्र चार ग्रहों का संयुक्त अनुक्रम रहेगा। इसका प्रभाव अलग-अलग प्रकार से दिखाई देगा। शिव साधना के लिए इस प्रकार के योग विशेष लाभकारी साबित होते हैं।
पंचक का नक्षत्र देखा पांच गुना शुभफल
महाशिवरात्रि का पर्वकाल धनिष्ठा नक्षत्र में होने से यह विशेष फलदाई रहेगा। क्योंकि धनिष्ठा पंचक में आने वाले पांच नक्षत्रों में से पहला नक्षत्र है। विशेष यह है कि इस नक्षत्र के साथ शिव योग की साक्षी भी रहेगी। जब भी पंचक के नक्षत्र व शिव योग का संयोग बनता है, तो यह धार्मिक कार्यों का पांच गुना अधिक शुभफल प्रदान करता है। इसलिए घर परिवार में सुख समृद्धि तथा किसी विशेष काम को पूरा करने के लिए इस दिन योग्य गुरु के मार्ग दर्शन में शिवजी की आराधना तथा विशेष अनुष्ठान अवश्य करना चाहिए।
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