नई दिल्ली: माधुरी दीक्षित (Madhuri Dixit)के चाहने वालों ने कभी भी उनकी किसी मूवी में इतने ट्विस्ट, टर्न और मसाले नहीं देखे होंगे, शायद यही वजह होगी जिसके चलते माधुरी दीक्षित ने इस वेबसीरीज के लिए हां किया होगा. लेकिन जरूरत से ज्यादा मसाले कहीं इस सीरीज के लिए घातक ना बन जाएं ये डर जरूर है क्योंकि माधुरी के करिश्मे के चलते जो फैमिली ऑडियंस इसको देखने आएगी, उसको इस सीरीज ‘द फेम गेम’ के कुछ मसाले एक साथ बैठकर देखने लायक नहीं लगेंगे. इन मसालों के चलते ही शुरू में तो मजा आता है, लेकिन बाद में दर्शक ये जरूर सोचेगा कि इस मसाले की जरूरत क्या थी.
जरूरत से ज्यादा है मसाला
पहले ये जान लीजिए कि इस सीरीज में कितनी तरह के मसाले हैं- इसमें गे रिलेशनशिप है, इसमें एक पुलिस ऑफिसर की लेस्बियन रिलेशनशिप है, इसमें ना बाप को पता है ना बेटे को कि वो उसका बाप नहीं है, इसमें एक हीरो हीरोइन के अवैध बच्चे की कहानी है, इसमें फिल्म हिट करवाने के लिए तमाम हथकंडे आजमाए जाते हैं, इसमें एक साइको किलर भी है, इसमें हीरोइन का अवैध रिवॉल्वर खरीदने का भी एंगल है, इसमें आर्यन मामले की तरह ड्रग्स एंगल भी डाला गया है, इसमें हीरो को बायोपुलर डिसऑर्डर की बीमारी भी है, इसमें हीरोइन के घरवालों का उसे ‘सोने की चिड़िया’ की तरह उसका इस्तेमाल करने का भी एंगल है, इसमें हीरोइन को प्रोडयूसर द्वारा बिस्तर पर लाने का ऑफर भी मिलेगा, नेपोटिज्म भी है तो हीरोइन की असीमित महत्वाकांक्षाओं के लिए ‘कुछ भी करने’ का जुनून भी.
इस सीरीज के डायरेक्टर बिजॉय नाम्बियार की एक जो फिल्म सबने पसंद की थी, वो थी इरफान खान की ‘कारवां’, लेकिन इस मूवी में वो केवल लेखक थे, और उस मूवी को हिट करवाने का श्रेय इरफान को ज्यादा जाता है. लेकिन एक पैटर्न जो उनकी मूवीज में देखने में आता है, वो है ज्यादा से ज्यादा फॉरमूले, ट्विस्ट एंड टर्न लाने का, जो ‘कारवां’ से लेकर अमिताभ फरहान स्टारर ‘वजीर’ तक नजर आता है और लगता है माधुरी दीक्षित की ‘द फेम गेम’ सीरीज में चरम पर पहुंच गया, लेकिन इससे उनकी सीरीज जरुरत से ज्यादा उलझ गई है.
हीरोइन के पीछे की कलह की कहानी
कहानी है एक ऐसी हीरोइन अनामिका आनंद (माधुरी दीक्षित) की, जो 30 सालों से नंबर वन है, एक बड़ी सुपरहिट देने के लिए अपने एक पुराने को-स्टार मनीष खन्ना (मानव कौल) के साथ बीस साल बाद जोड़ी बनाती है, जिसमें साथ देता है उसका पति निखिल आनंद (संजय कपूर) और उसी मूवी के प्रीमियर के बाद अनामिका गायब हो जाती है. जाहिर है बवाल कट जाता है, पुलिस एक्टिव होती है और फिर सामने आने लगती हैं चमक दमक की इस दुनियां में रह रही उस हीरोइन की परदे के पीछे की पारिवारिक कलहों की कहानी.
अनामिका का बेटा है गे
अनामिका के दो बच्चे हैं, जिनमें से बेटा अवि (लक्ष्यवीर) और बेटी अमारा (मुस्कान जाफरी) ऐसा लगता है मानो शाहरुख खान के बच्चों को देखकर उनके किरदार सोचे गए हैं. अवि ‘गे’ है और उसे आर्यन की तरह ड्रग्स लेने की भी आदत है, जबकि बेटी थोड़ी कम सुंदर है, और मां की तरह बड़ी हीरोइन बनना चाहती है. यूं फ्लैश बैक और वर्तमान में, मूवी चलाकर धीरे’धीरे कहानी खुलने लगती है, दर्शक को साफ लगता है कि मूवी हिट करवाने के लिए अनामिका गायब हुई है, या तो कर्ज में डूबे उसके पति ने किडनैप करवाया है या फिर वो खुद गायब हुई है.
वेब सीरीज में दिखेगा हाइट एंड सीक खेल
लेकिन ऐसा लगता है कि डायरेक्टर दर्शकों के साथ हाइड एंड सीक खेल रहा है, कि उसे लगातार कन्फ्यूज किया जाता रहे. तभी केस की जांच एक ऐसी असिस्टेंट कमिश्नर शोभा त्रिवेदी (राजश्री देशपांडे) को सौंपी जाती है, जो लेस्बियन है और अपनी एक अपनी एक सहेली के साथ रह रही है, जो अपने पति से लड़कर बच्चा भी साथ ले आई है, ये कहानी साइड में चलती रहती है.
राजश्री सेक्रेड गेम्स में अपने टॉपलैस सींस से चर्चा में आईं थीं. दूसरी कहानी अनामिका के एक साइको फैन की चल रही है, जो ये दावा करता है कि वो अनामिका-मनीष का नाजायज बच्चा है, उसे अपनाना ही पड़ेगा, बाद में वो अनामिका की बेटी को अपने प्रेम जाल में फंसा लेता है, अनामिका के मेकअप मेन की हत्या भी कर देता है. अनामिका के ‘गे’ बेटे का कोठे पर जाकर एक लड़की से दोस्ती बढ़ाना और अपने गे फ्रेंड के साथ दोस्ती अलग कहानी चल रही है, इतने भी पर डायरेक्टर रुकता नहीं, उस बेटे का एक और बाप पैदा कर देता है. कुछ और नहीं तो डायरेक्टर हीरो मनीष खन्ना की सुसाइड का ही प्लॉट रच देता है.
हर एक किरदार की अलग कहानी
बीच में लगता है कि अनामिका की बाई की भी कोई अलग कहानी है, उसके मेकअप मेन की भी कहानी लगती है और मनीष खन्ना की बेटी को लेकर भी कन्फ्यूजन रहता है, इधर बीच-बीच में सस्पेंस बनाए रखने के लिए डायरेक्टर धीरे-धीरे कहानी को अनफोल्ड कर रहा होता है, कि क्यों एक गोली अनामिका के घर में खम्भे पर धंसी मिली, ट्रांसमीटर निखिल की टेबल पर किसने लगाया? लेकिन पुलिस और शायद डायरेक्टर मेकअप मैन विली की हत्या को बिलकुल ही भूल भी जाती है.
क्लाइमेक्स में सबको दिखाया गया साइको
अंत में क्लाइमेक्स में डायरेक्टर जरूरत से ज्यादा चौंकाने की कोशिश करता है, ऐसे में हंसी भी आती है, लेकिन डायरेक्टर उसे जस्टीफाई करने की भी कोशिश करता है, कोई भी बड़ा टर्न किसी को साइको साबित करके आसाना हो जाता है. सोचिए तीन-तीन मुख्य किरदारों को इस मूवी में मानसिक बीमारी हो और बाकी लोग फ्रस्टेशन में तो क्या लगेगा? अनामिका का फैन साइको किलर है, प्रेमी बायोपुलर है ड्रग्स भी लेता है और बेटी? उसका तो आखिर में क्लाइमेक्स में ही साइको साबित करने की कोशिश की गई है और चूंकि ये सीजन वन है इसलिए दूसरे सीजन के लिए ऐसा लगता है कि माधुरी को भी कुछ हद तक साइको होने का इशारा किया गया है.
जबरदस्ती के जोड़े गए बोल्ड सीन्स
डायरेक्टर एक तरफ इस मूवी में सारे बॉलीवुड की दुनियां के तमाम फैक्टर्स को शामिल करने की कोशिश करता दिखाई देता है, वहीं पत्रकारों पर फ्रस्ट्रेशन भी निकालता है, शुरुआती सीन में ही पुलिस ऑफिसर जिस तरह लफंगों की तरह एक लड़की पत्रकार को हड़काती है, उससे ये साफ लगता भी है, फिर भरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में थप्पड़ कांड भी है. कभी कभी लगता है कि डायरेक्टर समझ नहीं पा रहा कि कहानी को कैसे आगे बढ़ाया जाए, तो फिर आखिरी एपिसोड्स में कभी लेस्बियन पुलिस ऑफिसर के अंतरंग सींस, कभी गे लड़के के अंतरंग सींस, कभी अनामिका की लड़की के अंतरंग सींस जोड़ दिए गए हैं, जो फैमिली ऑडियंस को परेशान कर सकते हैं.
वहीं माधुरी अंतरंग सींस से परहेज करती दिखाई देती हैं. हां, मानव कौल बेहतरीन एक्टर हैं, लेकिन कई जगह लगता है उन्हें सुपर स्टार दिखाने के लिए भी उनका जो लुक, स्टाइल होनी चाहिए थी, उस पर भी ज्यादा मेहनत नहीं की कुल मिलाकर कहानी ‘टू मच फिल्मी’ है, माधुरी ने अपने पुराने जोड़ीदार अनिल कपूर की तरह टीवी सीरीज में हाथ आजमाया तो है, लेकिन ये सीरीज अनिल के ’24’ के आसपास भी नहीं फटक पाती है. क्लाइमेक्स भी इस तरह फिल्माया गया है कि दर्शकों को शायद ही इस सीरीज के सीजन 2 का इंतजार रहे. हालांकि माधुरी के जबरा फैंस को ये सीरीज पसंद आएगी. क्योंकि उनके जलवा अपनी जगह है.
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