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    जन सुविधा व संस्कृति का संवर्धन

  • February 24, 2022

    – डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

    भारत प्राचीन काल से सांस्कृतिक व भौतिक रूप में समृद्ध रहा है। विदेशी आक्रांताओं के कालखंड में इस विरासत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। भारतीय सांस्कृतिक प्रतीकों व स्थलों को नष्ट करने के अनगिनत प्रयास किये गए। इसके बावजूद भारतीय संस्कृति का प्रवाह कायम रहा। आजादी के बाद इसके संरक्षण व संवर्धन की आवश्यकता थी। किन्तु इस ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद स्थितियों में बड़ा बदलाव हुआ। जिन विषयों को साम्प्रदायिक मानकर नजरअंदाज किया गया था, उनके प्रति स्थापित नजरिये को बदलने में सफलता मिली। यह माना गया कि ऐसी सभी समस्याओं का समाधान करना वर्तमान पीढ़ी का दायित्व है। जिससे भावी पीढ़ी को समस्या मुक्त भारत विरासत में मिले।

    पिछली सरकारें इस जिम्मेदारी से भागती रही। समाधान की बात तो दूर, उन्हें इन विषयों पर चर्चा करना तक मंजूर नहीं थी। उन्होंने ऐसे विषयों को वोटबैंक राजनीति से जोड़ दिया था। जो पार्टी इन्हें उठाये उन्हें साम्प्रदायिक घोषित कर दिया गया। यथास्थिति के समर्थक स्वयंभू सेक्युलर हो गए। भाजपा ने अयोध्या में श्री राममंदिर निर्माण, अनुच्छेद 370 की समाप्ति को राष्ट्रीय एकता व सांस्कृतिक चेतना का विषय माना। इसलिए उसे साम्प्रदायिक घोषित कर दिया गया। किंतु भाजपा इन आरोपों से विचलित नहीं हुई। इन मुद्दों को उसने छोड़ा नहीं। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में पहली बार भाजपा सरकार बनी थी लेकिन गठबंधन सरकार में चौबीस पार्टियां शामिल थीं। भाजपा चाह कर भी इन समस्याओं के समाधान की दिशा में बढ़ नहीं सकी। नरेंद्र मोदी को बहुमत से सरकार चलाने का जनादेश मिला। उन्होंने यह प्रमाणित किया कि यह विषय साम्प्रदायिक नहीं बल्कि राष्ट्रीय है। इनका समाधान राष्ट्रीय दायित्व है। सरकार इसके निर्वाह से पीछे नहीं हटेगी। दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ इन समस्याओं का समाधान किया गया।

    दूसरी तरफ कांग्रेस व अन्य क्षेत्रीय दल वोटबैंक सियासत में सिमटे रहे। भाजपा ने अपना वादा और दायित्व निभाया। श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण प्रगति पर है। भव्य श्री काशी विश्वनाथधाम का सपना भी साकार हुआ। अस्थाई अनुच्छेद 370 व 35 ए को समाप्त किया गया। मुस्लिम महिलाओं को कुप्रथा से मुक्ति दिलाने हेतु तीन तलाक को प्रतिबंधित किया गया। पहले इसकी चर्चा भी संभव नहीं थी क्योंकि इसे भी साम्प्रदायिक माना गया था। मतलब सेक्युलर सियासत के दावेदारों के लिए मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने की जगह वोटबैंक की सियासत का महत्व था। नरेन्द्र मोदी सरकार ने समाधान की दिशा में कदम बढ़ाया।

    वर्तमान सरकार ने अपने को केवल सांस्कृतिक चेतना तक सीमित नहीं रखा। बल्कि भारत को आर्थिक रूप से भी मजबूत बनाने का प्रयास किया। आत्मनिर्भर भारत अभियान इसके अनुरूप है। वंचित वर्ग के जीवन स्तर को ऊपर उठाने की व्यापक कार्य योजना पर अमल किया जा रहा है। केंद्र व प्रदेश सरकार मिलकर महीने में दो बार राशन प्रदान कर रही है। दोनों सरकार गरीबों के प्रति समर्पित है। गरीबों को आवास, बिजली, गैस कनेक्शन दिया गया। उनका जीवन आसान बनाया जा रहा है। रीबों के लिए 45 लाख पक्के मकान बनाए गए हैं। वहां फ्री बिजली कनेक्शन दिया गया। उस पक्के मकान की रसोई में उज्ज्वला का फ्री गैस कनेक्शन दिया है। छह करोड़ से अधिक लोगों को आयुष्मान भारत के अंतर्गत पांच लाख रुपये की बीमा सुरक्षा दी गई। ढाई करोड़ से ज्यादा किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से जोड़ा गया। उनके खाते में छह हजार रुपए पहुंच रहे हैं। इसके बीच में कोई बिचौलिया या दलाल नहीं है। ग्राम प्रधानों के जरिए श्रमिकों के कार्ड बने हैं और उनकी मजदूरी सीधे उनके खातों में जाती है।

    नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ का कोई निहित स्वार्थ नहीं है। यह साफ-सुथरी सरकार है। नरेंद्र मोदी ने बीस साल से कोई छुट्टी नहीं ली है। अनवरत देश सेवा में लगे हैं। योगी मानते हैं कि संस्कृत भारतीय संस्कृति की आत्मा है। वे कहते हैं कि कांग्रेस वाले एक्सीडेंटल हिन्दू हैं लेकिन हम अपने को गर्व से हिन्दू कहते हैं। सरकार बनने पर पुरोहित कल्याण बोर्ड का गठन किया जाएगा। सरकार गौमाता और किसानों की फसल दोनों की रक्षा करेगी। सपा के कार्यकाल में सात सौ से अधिक दंगे, बसपा में साढ़े तीन सौ से अधिक दंगे हुए। आज दंगे नहीं होते हैं। दंगाईयों को मालूम है कि पीढ़ियां दंगों की प्रतिपूर्ति करते थक जाएंगी। पहले बिजली को भी जाति से जोड़ा जाता था। सपा सरकार में ईद बकरीद पर बिजली आती थी। होली-दीवाली पर नहीं। आज बिना भेदभाव सबको बिजली मिल रही है।

    सरकार ने नौजवानों को स्मार्ट बनाने के लिए टैबलेट स्मार्टफोन बांटे हैं। सरकार बनने पर प्रदेश के दो करोड़ युवाओं को स्मार्टफोन टैबलेट दिए जाएंगे। योगी आदित्यनाथ अहमदाबाद आतंकी ब्लास्ट पर हुए कोर्ट के निर्णय का उल्लेख कर रहे थे। उनका कहना है कि जिन्हें सजा मिली उनमें आजमगढ़ का भी व्यक्ति शामिल है। उसका पिता सपा के लिए प्रचार कर रहा है। कांग्रेस की भी आतंकियों के प्रति सहानुभूति दिखाई देती रही है।

    उधर, कवि कुमार विश्वास ने आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल पर अलगाववादियों से सहयोग लेने के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि अरविंद केजरीवाल अलगाववादियों से मदद लेकर पंजाब की सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं। इन आरोपों की जांच के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा था। इस पत्र का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा है कि आपके पत्र के अनुसार एक राजनीतिक पार्टी का देश विरोधी, अलगाववादी एवं प्रतिबंधित संस्था से संपर्क रखना और चुनाव में सहयोग प्राप्त करना देश की एकता एवं अखंडता के दृष्टिकोण से अत्यंत गंभीर है। इस प्रकार के तत्वों का एजेंडा देश के दुश्मनों के एजेंडे से अलग नहीं है। यह अत्यंत निंदनीय है कि सत्ता पाने के लिए ऐसे लोग अलगाववादियों से हाथ मिलाने से लेकर पंजाब और देश को तोड़ने की सीमा तक जा सकते हैं।

    भारत सरकार ने इसे अत्यन्त गंभीरता से लिया है और वह स्वयं इस मामले को गहराई से दिखवायेंगे। भाजपा का कहना है कि यह उसके लिए वोटबैंक की राजनीति नहीं है। बल्कि राष्ट्रीय हित व सुरक्षा सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इस भावना के अनुरूप ही भाजपा का संगठन व सरकार काम करते रहेंगे।

    (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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