उज्जैन। मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर (Lord Mahakaleshwar) के दर्शन करने के लिए देशभर से श्रद्धालु आते हैं। यहां विशेष अवसरों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ (huge crowd of devotees) उमड़ती है। सोमवार, 21 फरवरी से महाकालेश्वर मंदिर में शिव नवरात्रि महोत्सव मनाया जाएगा। कोरोना प्रतिबंधों के चलते दो साल से यह उत्सव बगैर श्रद्धालुओं के मनाया गया, लेकिन इस साल महाकाल के दरबार में शिव नवरात्रि महोत्सव की धूम देखने को मिलेगी।
मप्र में कोरोना के मामले लगातार कम हो रहे हैं। इसी को देखते हुए राज्य सरकार ने नाइट कर्फ्यू को छोड़कर कोरोना से संबंधित सभी प्रतिबंध हटा लिये हैं। इसी को देखते हुए महाकाल मंदिर में भी श्रद्धालुओं को गर्भगृह में प्रवेश के साथ-साथ भस्मारती में शामिल होने की अनुमति प्रदान कर दी गई है। पिछले दो साल से कोरोना गाइडलाइन के चलते महाकालेश्वर मंदिर में शिव नवरात्रि महोत्सव नहीं मनाया गया, लेकिन इस बार मंदिर में श्रद्घालुओं की उपस्थिति के साथ इसे पूरे उल्लास से मनाए जाने की तैयारी की गई हैं।
पूर्व के वर्षों की भांति इस बार भी शिव नवरात्रि महोत्सव के दौरान भगवान महाकाल दूल्हा बनेंगे। नौ दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में अवंतिकानाथ के विभिन्न रूपों में उनका श्रृंगार किया जाएगा। सोमवार, 21 फरवरी से शुरू होकर यह महोत्सव एक मार्च को महाशिवरात्रि तक चलेगा। महाशिवरात्रि पर महानिशा काल में महाकाल की महापूजा होगी, जबकि अगले दिन दो मार्च को साल में एक बार दिन में होने वाली भस्मारती दोपहर 12 बजे से होगी। इस बार उज्जैन की महाशिवरात्रि भी खास होगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर इस दिन उज्जैन का जन्म दिन नगर गौरव दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन उज्जैन को अयोध्या की तर्ज पर लाखों दीपों की रोशनी से रोशन किया जाएगा। बताया जा रहा है कि 11 लाख दीप प्रज्ज्वलित करने की तैयारियां की जा रही हैं।
मंदिर के शासकीय पुजारी प्रदीप गुरु ने बताया कि कोरोना के कारण दो साल से मंदिर में सभी त्यौहार बिना श्रद्धालुओं के मनाए गए, लेकिन इस बार शिव नवरात्रि धूमधाम से मनाई जाएगी, जिसमें लाखों श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। शिव नवरात्र उत्सव के दौरान सुबह आठ बजे नैवेद्य कक्ष में भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन होगा। इसके बाद कोटितीर्थ कुंड के समीप स्थित श्री कोटेश्वर और रामेश्वर महादेव का अभिषेक-पूजन किया जाएगा। इसके बाद गर्भगृह में भगवान महाकाल का पंचामृत अभिषेक-पूजन होगा तथा पुजारी घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में 11 ब्राह्मण रुद्र पाठ करेंगे। इसके बाद दोपहर करीब एक बजे भोग आरती होगी। दोपहर 3.00 बजे संध्या पूजन के बाद भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाएगा।
शिव नवरात्रि के पहले दिन भगवान महाकाल को सोला (धोती), दुपट्टा व शीश पर चांदी का मुकुट धारण कराया जाएगा। निरंतर क्रम से भक्तों को भगवान के शेषनाग, मनमहेश, चंद्रमौलेश्वर, शिव तांडव, उमा महेश, होल्कर, घटाटोप तथा सप्त धान मुखारविंद में दर्शन होंगे। महाशिवरात्रि के लिए 29 फरवरी की रात तीन बजे मंदिर के पट खुलेंगे। उन्होंने बताया कि देवी भक्तों के लिए जिस प्रकार चैत्र व शारदीय नवरात्र विशेष होती है, उसी प्रकाश शिव भक्तों के लिए शिव नवरात्र का विशेष महत्व होता है। इस दौरान शिव भक्त उपवास रखते हैं। महाकाल मंदिर के पुजारी भी 21 फरवरी से एक मार्च तक नौ दिन उपवास रखेंगे।
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