लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव चल रहे हैं. अब तक दो चरणों का मतदान हो चुका है. कल यानी 20 फरवरी को तीसरे चरण का मतदान होना है. जानकारों की मानें तो इस बार के यूपी चुनाव में केवल दो पार्टियों के बीच में जंग है, एक है सत्ताधारी बीजेपी और दूसरी समाजवादी पार्टी. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) मैनपुरी के करहल विधान सभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में हैं. वहीं उनके चाचा शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) जसवंत नगर क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. इन दोनों जगह कल ही चुनाव होने हैं.
बिना चुनाव लड़े MLA बन गए मुलायम
जसवंत नगर वही विधान सभा क्षेत्र है, जहां से सपा संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) पहली बार चुनाव लड़े. वो यहां से कई बार एमएलए रहे हैं. तभी से इस विधान सभा को यादव परिवार की पारंपरिक सीट माना जाता है. लेकिन क्या आपको पता है कि एक वक्त ऐसा था जब मुलायम सिंह यादव बिना चुनाव लड़े एमएलए बन गए थे. आइए बताते हैं वो किस्सा. ये बात उस समय की है जब मुलायम सिंह यादव कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे. उसी समय से उनके साथी उन्हें एमएलए कहकर बुलाते थे. लेकिन तब किसी ने नहीं सोचा था कि जिसे सब प्यार से एमएलए बुलाते हैं, वो सूबे का सीएम बन जाएगा.
कॉलेज में बने थे छात्र संघ अध्यक्ष
आपको बता दें कि मुलायम सिंह यादव का जन्म इटावा के सैफई गांव में 22 नवंबर 1939 को हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही स्कूल में हुई. इसके बाद वो इटावा के केके कॉलेज में पढ़ाई करने पहुंच गए और यहीं से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. कॉलेज में पढ़ाई के दौरान मुलायम सोशलिस्ट पार्टी की विचारधारा से प्रभावित होकर छात्र राजनीति में कूद पड़े. इस दौरान उन्होंने छात्रसंघ का चुनाव लड़ा और जीतकर अध्यक्ष भी बने. अपने छात्र राजनीति में ही मुलायम सिंह यादव राम मनोहर लोहिया, नत्थू सिंह और कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया जैसे बड़े नेताओं के खास बन गए.
छात्र राजनीति के समय कई आंदोलनों से जुड़े
जब वो छात्र संघ के अध्यक्ष थे तब वो छात्रों की समस्याओं को दूर करने की कोशिश करते रहते थे. छात्र राजनीति के समय ही वो कई आंदोलनों से भी जुड़े रहे. वो अपने साथियों के सभी काम बड़ी आसानी से करा देते थे. इसी वजह से सब उनको प्यार से एमएसए कहकर बुलाने लगे. कॉलेज में पढ़ाई के दौरान एक बार मुलायम सिंह यादव सिंचाई कीमत में बढ़ोतरी के विरोध में धरने पर बैठे गए थे. अपने इसी स्वभाव के कारण उनके दोस्त, छात्र और जानकार उन्हें एमएलए साहब कहकर बुलाने लगे. इसका जिक्र देशबंधु वशिष्ठ ने मुलायम सिंह यादव पर लिखी किताब ‘मुलायम सिंह यादव और समाजवाद’ में किया है.
फिर कभी नहीं थमा राजनीति का सिलसिला
छात्र राजनीति से शुरू हुआ सिलसिला कभी नहीं थमा. बाद में वो साल 1967 में पहली बार जसवंतनगर सीट से विधायक बने. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. मुलायम सिंह यादव यूपी के तीन बार सीएम और देश के रक्षामंत्री भी रह चुके हैं.
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