पूरे देश में ऐसे समर्पित अफसर नहीं देखे, 150 करोड़ का प्लांट लगाने वाले डायरेक्टर दीपक अग्रवाल की दो टूक राय
इंदौर। ट्रेंचिंग ग्राउंड (Trenching Ground) स्थित 150 करोड़ रुपए की लागत से बने जिस सीएनजी प्लांट (CNG Plant) का लोकार्पण आज प्रधानमंत्री ( Prime Minister) ने किया उस कम्पनी कम्पनी इंडो-एनवायरो इंटिग्रेटेड सॉल्यूशन लिमिटेड (Indo-Enviro Integrated Solutions Ltd) यानी आईईआईएसएल ( IEISL) के डायरेक्टर दीपक अग्रवाल (Deepak Agarwal) का दो टूक कहना है कि उन्होंने इंदौर जैसे समर्पित और योग्य अफसर पूरे देश में कही नहीं देखे। खासकर कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) की जो कोई जोड़ ही नहीं है।
आखिरकार इंदौर में ही एशिया (Asia) का यह सबसे बड़ा बायो सीएनजी प्लांट (Bio CNG Plant) क्यों स्थापित किया गया, इसका कारण पूछने पर डायरेक्टर अग्रवाल का स्पष्ट कहना है कि जिस तरह का गुणवत्ता वाला कचरा इंदौर नगर निगम द्वारा सेग्रिगेट किया जाता है, उस तरह का काम पूरा देश तो क्या, दुनियाभर में नहीं हो रहा है। उन्होंने 200 नमूनों की जांच की और यहां तक कि इंदौर के कचरे की हर मौसम में पड़ताल भी की। सर्दी, गर्मी, बारिश में की गई इस जांच के बाद ही उन्होंने 150 करोड़ रुपए के प्लांट को डालने का निर्णय लिया। अग्रवाल के मुताबिक वे देशभर में कचरे के प्रबंधन का काम कर रहे हैं, लेकिन इंदौर जैसा काम कहीं नहीं हुआ। खासकर यहां के अफसर वाकई योग्य हैं। कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) के साथ-साथ निगमायुक्त प्रतिभा पाल (Corporation Commissioner Pratibha Pal) ने भी पूरा सहयोग दिया।
इस तरह गीले कचरे से बनेगी बायो सीएनजी
550 मैट्रिक टन घरेलू जैविक कचरे को उपचारित करने के बाद 17500 किलो बायो सीएनजी गैस के साथ-साथ 100 टन उच्च गुणवत्ता की ऑर्गेनिक कम्पोस्ट यानी खाद का निर्माण भी होगा। यह प्लांट जीरो इनर्ट मॉडल पर आधारित है। यानी किसी प्रकार का अनुपचारित वेस्ट नहीं निकलेगा। गीले कचरे को गहरे बंकर में प्राप्त कर ग्रेब क्रैन से प्रसंस्करण उपकरण तक पहुंचाया जाएगा। फिर अजैविक एवं फाइबरस पदार्थों को बड़ी स्क्रीन द्वारा अलग किया जाएगा और 25 दिन तक अपघटन प्रक्रिया से गुजरने के बाद बायोमिथेन गैस बनेगी।
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