इंदौर। शासन ने निगम को 171 करोड़ का लोन लेने की मंजूरी दी है, जिसके चलते निगम अभी 10 साल के लिए 141 करोड़ का लोन लेगा, जिसके चलते सरकारी-निजी बैंक, अन्य वित्तीय संस्थाओं से ऑफर (offers from financial institutions) बुलवाए हैं। जिसकी ब्याज दर कम और शर्तें भी जटिल नहीं होगी उस संस्था से निगम ये लोन हासिल करेगा। अभी निगम तीन प्रमुख सडक़ों (major roads) के निर्माण के लिए यह बैंक लोन ले रहा है, जिनमें एमआर-3, एमआर-5 और आरई-2 का निर्माण किया जाएगा और बदले में जमीन मालिकों से बेटरमेंट चार्ज (betterment charge) वसूल किया जाएगा और उसी राशि से बैंक का यह लोन मय ब्याज निगम चुकता करेगा।
पिछले दिनों अग्निबाण ने ही सबसे पहले यह खुलासा किया कि शासन के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने निगम को सडक़ों के निर्माण हेतु 171 करोड़ का लोन लेने की मंजूरी दे दी है। निगमायुक्त प्रतिभा पाल (Corporation Commissioner Pratibha Pal) लगातार मास्टर प्लान और प्रमुख सडक़ों के निर्माण की समीक्षा कर रही है। निगम अधिनियम 1956 की धारा 104 के प्रावधान के तहत शासन ने निगम को वाणिज्यिक ऋण की मंजूरी दी है, लेकिन उसका पुनर्भुगतान बेटरमेंट टैक्स (Repayment Betterment Tax) या निगम स्वयं अपने स्तर पर ही करेगा।
इसके लिए शासन अलग से कोई वित्तीय सहायता (financial help) नहीं देगा। निगम को लोन प्राप्त करने के लिए खुली निविदा यानी टेंडर के जरिए पारदर्शिता अपनाते हुए इस लोन को प्राप्त करने की कार्रवाई करना होगी। इसके चलते निगम न 141 करोड़ के लोन को हासिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। निगम के अपर आयुक्त वित्त वीरभद्र शर्मा के मुताबिक सरकारी-निजी बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं, कम्पनियों से निगम ने प्रस्ताव बुलवाए हैं। 3 मार्च तक यह प्रस्ताव सीलबंद लिफाफे में प्राप्त किए जाएंगे और उसके पूर्व अभी 25 फरवरी को प्री-बिड मीटिंग भी आयुक्त की मौजूदगी में आयोजित की जाएगी।
निगम 10 साल के लिए यह लोन ले रहा है और तीनों सडक़ों के दोनों तरफ 500-500 मीटर के दायरे में आने वाले जमीन मालिकों से बेटरमेंट चार्ज लिया जाएगा। आरई-2 के निर्माण के लिए निगम ने जमीन मालिकों की सूची बनाकर उन्हें बेटरमेंट चार्ज जमा कराने के नोटिस भी जारी कर दिए हैं।
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