भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में स्कूल शिक्षा की नीति में पहली से आठवीं तक की कक्षा के लिए राज्य सरकार (State government) द्वारा स्थानीय बोली में किताबें छपवाई जा रही हैं और जल्द ही स्थानीय बोली में इन क्लास की शिक्षा देना शुरू किया जाएगा।
इसकी जानकारी देते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार (Education Minister Inder Singh Parmar) ने कहा की मध्य प्रदेश में स्कूल शिक्षा में बदलाव की दिशा में काम चल रहा है। पहली से आठवीं (1st to 8th) तक के बच्चों के लिए सबसे पहले यह काम किया जा रहा है। इन कक्षाओं के बच्चों शिक्षा से वंचित नहीं रहें, इसलिए यह कोशिश है कि उनकी भाषा और बोली के हिसाब से पढ़ाई व्यवस्था हो। कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहे।
आगे उन्होंने कहा कि हर राज्य को यह स्वतंत्रता (Freedom) दी गई है कि वह अपनी क्षेत्रीय भाषा और बोली के हिसाब से शिक्षा व्यवस्था बनाए। क्षेत्रीय भाषा और बोली के हिसाब से किताबें और पाठ्यक्रम बनाने की दिशा में काम चल रहा है। इसके लिए पहले पहली कक्षा से आठवीं तक के बच्चों की पढ़ाई व्यवस्था को बदले जाने की तैयारी है।
उन्होंने बताया की उनके लिए क्षेत्रीय भाषा और बोली (regional language and dialect) में किताबें व पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। किताबें प्रकाशित कराई जा रही हैं। बच्चों को उनकी क्षेत्रीय भाषा और बोली के अनुसार पढ़ाई व्यवस्था के तहत शिक्षकों की भी उसी तरह ट्रेनिंग कराई जाएगी। शिक्षकों को क्षेत्रीय भाषा व बोली के साथ ही बच्चों को स्थानीय उदाहरणों के साथ पढ़ाने की ट्रेनिंग भी दी जाएगी। इससे बच्चे उनके स्थानीय उदाहरणों से और भी अच्छी तरह से शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे।
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