जबलपुर। छतरपुर जिले की राजनागढ़ तहसील अंतर्गत ग्राम बसेड़ी में नियमों को ताक पर रखकर पांच एकड़ जमीन आवंटित किये जाने को चुनौती देने वाले मामले को हाईकोर्ट ने सख्ती से लिया। चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव की युगलपीठ ने मामले में अनावेदकों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये है। यह जनहित याचिका बसेड़ी छतरपुर निवासी शैलेन्द्र सिंह की ओर से दायर की गई है। जिसमें कहा गया है कि खजुराहो-छतरपुर मार्ग स्थित नेशनल हाईवे से लगी हुई करीब पांच एकड़ बेशकीमती जमीन पर तहसीलदार व पटवारी ने मिलीभगत कर उसका आवंटन उक्त गांव से सौ किमी. दूर एक व्यक्ति के नाम पर आवंटित कर दी।
जबकि नियमानुसार जमीन उसी गांव व समीप के गांव के निवासी को ही आवंटित की जा सकती है वो जो कि भूमिहीन हो। आरोप है कि जिस व्यक्ति के नाम पर जमीन आवंटित की गई थी उसके पास पूर्व से ही जमीन थी और उक्त आवंटन की जानकारी नहीं थी। आवेदक की ओर से कहा गया कि इस बीच जिस व्यक्ति को भूमि आवंटित की गई थी, उसकी मृत्यू हो गई। जिसके बाद उसके बारिसदारों के नाम पर जमीन दर्ज हुई और पिछले साल ही उन्होने उसका विक्रय करने की तैयारियां शुरु कर दी। मामले में राहत चाही गई कि उक्त पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाये और दोषियों पर कार्रवाई की जाये। मामले में प्रमुख सचिव राजस्व विभाग, छतरपुर कलेक्टर, नायाब तहसीलदार छतरपुर, हरिया व नंदू को पक्षकार बनाया गया है। मामले की सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता डीके त्रिपाठी ने पैरवी की।
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