इंदौर। योजना 171 को जिस तरह प्राधिकरण ने नहीं छोड़ा और इसमें शामिल गृह निर्माण संस्थाओं (house building institutions) की जो जमीनें भूमाफियाओं (land mafia) ने हड़प ली थी, उनसे छिनकर कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) ने पीडि़तों को भूखंडों के कब्जे दिलवाने की कार्रवाई की, जो अभी भी लगातार जारी है। दूसरी तरफ अग्निबाण (agniban) ने बायपास की नई योजना जो टीपीएस-6 के तहत घोषित की गई थी उसमें एक हजार करोड़ रुपए से अधिक की जमीनें शासन के जरिए सुनियोजित तरीके से छुड़वाने का खेल किया गया उसके भंडाफोड़ करने के बाद कागजी संस्थाओं के नाम पर हड़पी जमीनों पर भी प्राधिकरण एनओसी नहीं देगा।
अभी कलेक्टर मनीष सिंह ने इसी योजना में शामिल और छूटी पाश्र्वनाथ गृह निर्माण संस्था (Parsvnath Home Building Institute) की जांच करवाई तो उसमें भी बड़ा फर्जीवाड़ा संघवी परिवार का सामने आया। खसरा नम्बर 64 और 66/2 की जमीनें एक ही परिवार के लोगों के पास पाई गई। अभी अपर कलेक्टर डॉ. अभय बेड़ेकर ने 10 पेज का ऑर्डर पारित किया, जिसमें पाश्र्वनाथ संस्था के नाम पर किए गए फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। भिचौली हब्सी के सर्वे नं. 64 की 1.24 हेक्टेयर के अलावा सर्वे नं. 66/2 की 1.570 हेक्टेयर जमीन के अलावा निरंजनपुर और कनाडिय़ा में भी 11.82 एकड़ जमीन संस्था ने खरीदी।
1997 से लेकर अभी तक भूपेश उर्फ टीनू संघवी, योगेश, सुरेन्द्र और प्रतीक संघवी संस्था (Yogesh, Surendra and Prateek Sanghvi Sanstha) के अध्यक्ष रहे। टीएनसीपी के स्वीकृत अभिन्यास में उल्लेखित भूखंडों का मनमर्जी से क्षेत्र परिवर्तित कर कृषि भूमि के रूप में बेचने, अवयस्क को रजिस्ट्री करवाने और अन्य गृह निर्माण संस्थाओं नव भारत, सागर, अमरदीप, गौतम गृह निर्माण से अवैध रूप से वित्तीय अनियमितताएं भी सामने आई। इस पूरे फर्जीवाड़े में करोड़ों की जमीनें शामिल हैं और जिन 9 लोगों को रजिस्ट्रियां करवाई गई उनसे भी जमीन वापस लेकर सदस्यों को आबंटित की जाएगी। प्राधिकरण को ऐसी कागजी संस्थाओं को एनओसी ना जारी करने के निर्देश दिए, जिसमें पाश्र्वनाथ भी शामिल है। वहीं इस मामले में निगमायुक्त को भी एफआईआर दर्ज करवाने को कहा गया है।
130 रुपए स्क्वेयर फीट विकास शुल्क पर निजी जमीन मालिकों को ही एनओसी
टीपीएस-6 में शामिल रही पश्चिमी बायपास की जो 150 एकड़ जमीन शासन ने छुड़वाई और उसके बाद प्राधिकरण ने टीपीएस-9 के नाम से नई योजना घोषित की, हालांकि उसको भी अभी तक शासन ने मंजूरी नहीं दी है। गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों को तो एनओसी नहीं मिलेगी, वहीं निजी व्यक्तियों की जमीनों को प्राधिकरण द्वारा एनओसी दी जा रही है और इसके बदले 1403 रुपए स्क्वेयर मीटर यानी लगभग 130 रुपए स्क्वेयर फीट विकास शुल्क की राशि तय की गई है, क्योंक प्राधिकरण को मास्टर प्लान की सडक़ का निर्माण करना पड़ेगा, जिसके चलते एनओसी के बदले यह राशि ली जा रही है, लेकिन प्राधिकरण ने अपने संकल्प में यह स्पष्ट कर दिया कि संस्थाओं की जमीनें प्रशासन के नियंत्रण में रहेगी। पाश्र्वनाथ के अलावा करतार गृह निर्माण, अमित प्रिया, हिमालया, दीप ज्योति, जनसेवा, श्याम बिहारी सहित अन्य संस्थाओं की जमीनें भी इसमें है।
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