कोटा। राजस्थान (Rajasthan) के कोटा के चंबल रिवर फ्रंट (Kota Chambal River Front Rajasthan) पर देश का सबसे बड़ा घंटा (Country biggest bell) बनाया जा रहा है. यह घंटा गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में (Guinness Book of World Records) 3 रिकॉर्ड अपने नाम करेगा. बुधवार को इस घंटे की वास्तविक आकृति के फ्लेक्स का प्रदर्शन साइट (flex demo) पर किया गया. इस घंटे का निर्माण स्टील मैन आफ इंडिया के नाम से विख्यात इंजीनियर देवेंद्र कुमार आर्य कर रहे हैं. इसकी कलाकृति का निर्माण कोटा का घटोत्कच चौराहा बनाने वाले राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित कलाकार हरीराम कुम्भावत (Artist awarded with President’s Award Hariram Kumbhavat) कर रहे हैं.
इंजीनियर देवेंद्र कुमार आर्य ने बताया कि घंटे का वजन 57 हजार किलो घोषित किया गया था, लेकिन तब तक इसमें लगने वाली ज्वेलरी के वजन की गणना नहीं की गई थी. अब इसके वजन की भी गणना कर ली गई है. सबसे बड़े इस घंटे की ज्वेलरी इसकी मजबूती के लिए दी गई है. बिना मजबूती के इसका टूटना निश्चित था. इसलिए इसकी स्ट्रेंथ को ज्वेलरी का डिजाइन देकर बढ़ाया गया है. इसका लुक चेंज किया गया है, जो काफी आकर्षक है.
आर्किटेक्ट अनूप भरतिया ने बताया कि ज्वेलरी नहीं होने की वजह से मास्को का घंटा टूट गया था. इसलिए यह ध्यान में रखते हुए कि किस जगह घंटे से इसका पेंडुलम टकराएगा, उस हिस्से को खास स्ट्रेंथ दी गई है. उसको ज्वेलरी का रूप दिया गया है. इस घंटे की ज्वेलरी का वजन तकरीबन 25 हजार किलो है. वह भी घंटी के साथ ही कास्ट होगा. इस प्रकार इस घंटे का कुल वजन अब 82 हजार किलो होगा. इंजीनियर देवेंद्र कुमार आर्य ने बताया कि चाइना के घंटे का वजन 101 टन है, जबकि मास्को के घंटे का वजन 200 टन है. कोटा के चंबल रिवर फ्रंट (Kota Chambal River Front) पर लगने वाले इस घंटे का स्वरूप आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया ने इस तरह डिजाइन किया है कि यह कभी टूटे नहीं और कम वजन में भी उनसे भारी बनाया जा सके, क्योंकि इस घंटे में किसी भी तरह का जॉइंट नहीं है. यह सिंगल कास्टिंग घंटा है. इसलिए इसमें टूटने के चांस जीरो प्रतिशत हैं. इंजीनियर देवेंद्र कुमार आर्य का कहना है कि यह घंटा बेहद सुरक्षित है. बिना ज्वेलरी के यह असुरक्षित है. इसलिए ज्वेलरी इस घंटे के लिए बहुत जरूरी पार्ट है, जो इसको मजबूती देगा और हमेशा के लिए इसको इसी पोजीशन में रखेगा. कोटा में बन रहा चंबल रिवर फ्रंट लगभग आकार ले चुका है, जो कोटा की पहचान बनेगा. यह घंटा उसमें विशेष आकर्षण होगा.