नई दिल्ली। आयकरदाता एक आकलन वर्ष में सिर्फ एक बार ही अपना आयकर रिटर्न (ITR) अपडेट कर सकेंगे। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के चेयरमैन जेबी महापात्रा ने बुधवार को कहा कि इस प्रावधान का उद्देश्य उन लोगों को रिटर्न भरने का मौका देना है, जिन लोगों से आईटीआर में कोई जानकारी छूट गई है या कोई गलत जानकारी भर दी गई है या जो किसी उचित वजह से ऐसा नहीं कर पाए हैं।
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के कार्यक्रम में महापात्रा ने कहा कि बजट 2022-23 में ऐसे करदाताओं को आईटीआर दाखिल करने के दो साल के भीतर उसे अपडेट करने की अनुमति दी गई है, जिनसे रिटर्न भरने में कुछ गलती हो गई है या कोई ब्योरा छूट गया है। करदाता टैक्स का भुगतान कर अपना आईटीआर अपडेट कर सकेंगे।
मौजूदा समय में नियम है कि अगर कोई करदाता आईटीआर भरने से चूक जाता है तो वह अपनी मर्जी से रिटर्न नहीं भर सकता। नोटिस आने पर या आयकर विभाग से इजाजत मिलने के बाद विभाग के सवालों के जवाब देने के बाद रिटर्न भरने की छूट मिलती है। रिटर्न भरने का लंबा-चौड़ा और पेचीदा नियम है। नया नियम इससे आजादी देता है और करदाता में भरोसा पैदा करता है।
देना होगा अतिरिक्त टैक्स
उन्होंने कहा कि अगर अपडेट आईटीआर 12 महीने के भीतर भरा जाता है तो बकाया टैक्स और ब्याज पर 25 फीसदी अतिरिक्त राशि का भुगतान करना होगा। अगर कोई करदाता अपना अपडेट रिटर्न 12 महीने के बाद दाखिल करता है तो भुगतान राशि बढ़कर 50 फीसदी हो जाएगी। लेकिन, इसे संबंधित आकलन वर्ष के 24 महीने के भीतर ही दाखिल करना होगा।
इन्हें नहीं मिलेगा सुविधा का लाभ
सीबीडीटी चेयरमैन ने कहा कि यह सुविधा सभी करदाताओं को नहीं मिलेगी। अगर किसी आकलन वर्ष के लिए किसी करदाता को नोटिस जारी कर अभियोजन की कार्रवाई शुरू की गई है तो उसे आईटीआर अपडेट करने का लाभ नहीं मिलेगा। इसके अलावा, अगर कोई करदाता अपडेटेट रिटर्न भरता है, लेकिन अतिरिक्त टैक्स का भुगतान नहीं करता है तो उसके रिटर्न अवैध हो जाएगा।
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