लखनऊ । उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गोरखपुर जिले (Gorakhpur district) में कोरोना (Corona) की तीसरी लहर में नया वैरिएंट (New Variant) मरीजों के फेफड़े (Patients’ Lung) पर असर नहीं डाल सका। इसकी वजह से भर्ती होने वालों में महज एक फीसदी मरीज ही कोरोना निमोनिया के शिकार हुए हैं। इनमें बीमार बुजुर्ग ही शामिल रहे। वहीं, दूसरी लहर में भर्ती होने वालों में हर 10 में छह से सात मरीज कोरोना निमोनिया से पीड़ित थे।
जानकारी के मुताबिक, जिले में तीसरी लहर में सात हजार के आसपास मरीज संक्रमित हो चुके हैं। इनमें महज 50 मरीजों को ही अस्पतालों में भर्ती करने की जरूरत पड़ी है। एक फीसदी मरीज ऐसे रहे, जिनके फेफड़ों तक संक्रमण पहुंचा और वे कोरोना निमोनिया से ग्रसित हो गए। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के कोरोना वार्ड के नोडल अधिकारी डॉ. अजहर अली ने बताया कि तीसरी लहर में अब तक जो भी मरीज अस्पतालों में भर्ती हुए हैं, वे पहले से ही किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित रहे। ऐसे लोगों के फेफड़ों तक कोरोना संक्रमण फैला है। इसकी वजह से उन्हें निमोनिया की तकलीफ हुई।
तीसरी लहर में अब तक करीब आठ सौ बच्चे कोरोना संक्रमण के शिकार हुए हैं। राहत की बात यह है कि इन बच्चों में कोरोना संक्रमण के हल्के लक्षण मिले। यही वजह है कि उनमें पोस्ट कोविड की समस्या नहीं देखने को मिली। जबकि, पहली और दूसरी लहर में महज एक से दो प्रतिशत बच्चे पोस्ट कोविड के शिकार हुए थे।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. भूपेंद्र शर्मा ने बताया कि बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बड़ों के मुकाबले ज्यादा होती है। उनमें ऐसे हार्मोन नहीं पाए जाते हैं, जो संक्रमण को गंभीर बनाएं। यही वजह है कि उनमें संक्रमण गंभीर नहीं हुआ। बताया कि एमएमआर वैक्सीन लगने से बच्चों में वायरस ने गंभीर रूप धारण नहीं किया। अमेरिका में हुए कई शोध में इसका खुलासा भी हो चुका है। तीसरी लहर में बच्चे भले ही पॉजिटिव हो रहे हैं, लेकिन उनमें कोरोना निमोनिया की समस्या नहीं है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved