भोपान। 8926291689… यह वह नम्बर है जिसके जरिए एक ही ठग ने कईयों को लाखों का चूना लगाया। इस तरह के कई ऐसे नम्बर हैं जिसके जरिए ठगोरे रोजाना कॉल कर कितनों को चूना लगाते होंगे। जो सतर्कता दिखाता होगा वह तो बच जाता है और जो इनके चंगुल में फंस जाता है तो समझो उसका बैंक एकाउंट साफ। अब इन ठगोरों ने ठगी का नया तरीका खोजा है। ये तकनीकी रूप से इतने माहिर हो चुके हैं कि ये जब चाहें तब, जिसका चाहें उसका स्मार्टफोन हैक कर उसकी कॉन्टैक्ट लिस्ट ही नहीं, बल्कि कॉल रिकॉर्डिंग से लेकर लोकेशन तक पता करने में माहिर बताए जाते हैं। इसका सबूत पिछले कुछ दिनों में लोगों से हुई ठगी का मिलता भी है। हैकिंग के पीछे का मकसद इन ठगोरों का यह रहता है कि वे सामने वाले को किसी करीबी की आवाज में बात कर उसे विश्वास में ले सकें और उससे अपनी मंशा अनुसार पैसा उसके बैंक एकाउंट से अपने एकाउंट में ट्रांसफर करवाया जा सके।
दरअसल, गूगल पे, फोन पे, पेटीएम व अन्य मोबाइल वॉलेट्स के यूपीआई पिन के जरिए ऑनलाइन ठगोरे कारनामा दिखाने लगे हैं, जिससे ना तो उनका पैसा रिटर्न हो सके और ना ही यह पता लगाया जा सके कि पैसा कौन से या किसके एकाउंट में ट्रांसफर हुआ। ठगी करने वाले गिरोह ने सोचा कि ऐसा क्या किया जाए जिससे सामने वाला खुद ही अपना यूपीआई पिन नम्बर हमें बता दे। ठगोरों ने कई मोबाइल एप्लिकेशन व अन्य तरीकों से ऐसी फाइलों को लोगों के स्मार्टफोन में भेजा, जिससे उनके बैंक बैलेंस तो उन्हें नजर आए हीं, साथ ही कॉन्टैक्ट लिस्ट, कॉल रिकॉर्डिंग व अन्य चीजों का भी पता उन्हें लगता रहे। विशेषज्ञों की मानें तो ऐसी फाइलें अक्सर गेमिंग या अन्य लालच भरे मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए ही स्मार्टफोन में पहुंचाई जाती हैं। बताया जाता है कि कॉन्टैक्ट लिस्ट इसलिए हैक की जाती हैं क्योंकि यह पता लगाया जा सके कि सामने वाले के सम्पर्क में कौन-कौन है या वह किससे बात ज्यादा करता है या किससे कम। इसी तरह कॉल रिकॉर्डिंग हैक करने के पीछे का मकसद यह बताया जाता है कि दोनों किस लहजे में बात करते हैं और टारगेट पर रहने वाले इंसान से उसी आवाज की कॉपी कर बात की जा सके। इतना ही नहीं, ठगोरे तकनीकी रूप से इतने सक्षम बताए जाते हैं कि टारगेट पर रहने वाले व्यक्ति की लोकेशन भी ट्रेस कर सकते हैं। ठगोरे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि यह पता चल सके कि व्यक्ति व्यस्त किस समय रहता है। इस संबंध में साइबर क्राइम शाखा भी सतर्कता बरतने की सलाह देती है। उसका कहना है कि अगर रुपयों के ऑनलाइन लेन-देन के संबंध में अगर किसी भी करीबी का फोन किसी अनजान नम्बर से आए तो उससे बिल्कुल बात ना करें और पहले उक्त संबंधी के सही फोन नम्बर पर कॉल करें और सच्चाई का पता लगाएं और अनजान नम्बर को तुरंत ब्लॉक कर दें। किसी भी अंजान व्यक्ति द्वारा फोन, मेसेज व सोशल मिडिया के माध्यम से सपंर्क कर बैंक खाता, क्रेडिट कार्ड, वालेट एवं यूपीआई पिन व पॉलिसी की जानकारी मांगी जाती है तो, उन्हें अपनी यह गोपनीय निजी जानकारी ना दें। साथ ही किसी भी अंजान एप्लीकेशन को डाउनलोड कर एक्सेस पासवर्ड शेयर न करें अन्यथा आप ठगी के शिकार हो सकते है। अगर कोई ठगी होती है तो इसकी सूचना तुरंत अपने नजदीकी थाने या क्राइम ब्रांच द्वारा जारी किए गए नम्बर 704912-4445 पर सूचित करें।
पैसा वापसी की सिर्फ 1 प्रतिशत गारंटी
ऐसे मामलों की छानबीन करने वाले पुलिस वालों की मानें तो अगर किसी भी व्यक्ति के साथ गूगल पे, फोन पे या पेटीएम जैसे वॉलेट के यूपीआई के जरिए ऑनलाइन ठगी होती है तो ऐसे मामलों में रुपए वापसी की गारंटी लगभग 1 प्रतिशत भी नहीं रहती। अब नए तरीके से ठगा रहे लोगों की समस्या यह है कि वे तो ठगोरों की बातों में इसलिए आ गए क्योंकि वह उसके संबंधी या परिचित की आवाज में बात कर रहा था। साथ ही व्यवहार भी ऐसा करते हैं जिससे कोई भी बातों में आ जाए और सामने वाले को यूपीआई, ओटीपी व अन्य जानकारी आसानी से दे दे। जानकारी देते ही खाते से पैसा गायब हो जाता है।
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