सागर। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सागर (Sagar) जिले में दुनिया का सबसे बड़ा चतुर्मुखी जिनालय (Jain Temple) बनाया जा रहा है, जोकि ये तीन मंजिला होगा। वहीं, खुरई रोड में स्थित भाग्योदय तीर्थ में बन रहे इस मंदिर के निर्माण में गुजरात के भुज का पीला पत्थर और राजस्थान के बयाना का लाल पत्थर का प्रयोग किया जा रहा है। साथ ही पत्थरों को लगाने के साथ ही कारीगरी की जा रही है। मंदिर में साढ़े 10 लाख घन फीट पत्थर लगाया जाएगा। यह मंदिर चारों दिशाओं से देखने में एक जैसा लगेगा।
वहीं, जैन समाज का दावा है कि यह दुनिया का अब तक का सबसे ऊंचा जैन मंदिर होगा। जोकि यह एक एकड़ क्षेत्रफल (one acre area) में बनेगा। वहीं, मंदिर में प्रत्येक खंड में 108 मूर्तियों की स्थापना की जाएगी। ऐसे में मंदिर निर्माण कार्य साल 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। कारीगरी का यह अद्भुत नमूना 250 से ज्यादा कारीगर तैयार कर रहे हैं। इसमें तीन लाख घनमीटर से अधिक पत्थर का उपयोग होगा, जिसकी 500 साल पुरानी चूना पद्धति से जुड़ाई की जा रही है। स्तंभों और दीवारों पर जैन धर्म को उकेरा जाएगा। पहले ऋषभ भगवान से लेकर भगवान महावीर तक 24 तीर्थंकरों गुणगान कलाकृतियों के माध्यम से दर्शाया जाएगा। यह मंदिर अपने आप में जैन धर्म के लिए एक विरासत है। मंदिर सागर-बीना रोड (Sagar-Bina Road) पर स्थित भाग्योदय तीर्थ में कई सालों से तैयार हो रहा है।
बीते दिनों कोरोना काल में लॉकडाउन (lockdown in corona period) के चलते निर्माण कार्य प्रभावित हुआ था। वहीं, परिसर में ही भाग्योदय तीर्थ का एक बड़ा अस्पताल है, जिसमें कोरोनाकाल में लोगों को सेवाएं दी गई थीं। तीन तल के इस जिनालय में 324 मूर्तियां होंगी। आठ मंडप, हर खंड पर 168 से हिसाब से कुल 504 पोलर होंगे, जिनमें हर पिलर दूसरे से अलग होगा। हर एक पिलर पर अलग कलाकृति उकेरी जाएगी। इसे बाहर के लोग काफी बारीकी से बना रहे हैं। इस मंदिर में चारों तरफ से प्रवेश किया जा सकता हैं।
चार द्वारों के कारण यह चतुर्मुखी मंदिरों (Chaturmukhi Temples) की श्रेणी में सबसे बड़ा मंदिर बन जाता है। चारों तरफ करीब 100 फीट चौड़ाई लिए किसी नदी के घाट की तरह 19 सीढ़ियां बन रही हैं और इसे विशालकाय बनाते हैं। जानकारी के मुताबिक मंदिर में तीन खंड होंगे। ऊंचाई 216 फीट रहेगी। साथ ही प्रवेश द्वार एक समान बनाए जाएंगे। मंदिर के चारों तरफ 94 फीट चौड़ी 19 सीढ़ियां बनेंगी। इसका शिलान्यास (its foundation stone) 19 फरवरी 2017 को हुआ था, तभी से काम शुरू हो गया था।
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