दिल्ली। अपने बेटे के संरक्षित स्पर्म लेने की आस लगाए बैठे माता पिता की मुश्किलें आसान होती नजर नहीं आ रही हैं। कुछ दिनों पहले स्पर्म संरक्षण को लेकर चर्चा आया मामले में अब सर गंगाराम हॉस्पिटल (Sir Gangaram Hospital) ने अपना पक्ष रखा है। हॉस्पिटल के अनुसार अनमैरिड डेड मेल (unmarried dead mail) के सुरक्षित स्पर्म के सैम्पल (safe sperm samples) को फैमिली या पैरेंट्स को देने का देश में कोई कानून नहीं है।
हॉस्पिटल की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में दायर हलफनामे में यह बात कही गई। हलफनामें कहा गया है कि केंद्र सरकार के राजपत्र में सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (ART) अधिनियम, अविवाहित व्यक्ति के वीर्य के नमूने के निपटान या उपयोग की प्रक्रिया को निर्दिष्ट नहीं करता है, जिसकी मृत्यु हो गई है।
अस्पताल में कैंसर का इलाज कराते हुई थी मरीज की मौत
दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में याचिका पर अस्पताल और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा था। दरअसल याचिकाकर्ता पैरेंट्स के अनमैरिड बेटे को कैंसर था। ऐसे में कैंसर का इलाज शुरू होने से पहले उसने अपने स्पर्म सर गंगाराम हॉस्पिटल में सुरक्षित करवाए थे. लेकिन वह कैंसर से लड़ नहीं सका और उसकी मृत्यु हो गई।
ऐसे में लड़के के पैरेंट्स हॉस्पिटल से सुरक्षित स्पर्म लेना चाहते हैं. पैरेंट्स का कहना है कि स्पर्म ही उनके बेटे के अवशेष हैं और उन पर उनका ही हक है. पैरेंट्स बेटे की वंशावली को जारी रखना चाहते हैं इसलिए वे स्पर्म लेना चाहते हैं।
मृतक के माता-पिता ने हाई कोर्ट में लगाई गुहार
जब हॉस्पिटल में कानून का हवाला देते हुए पैरेंट्स का इनकार किया तब उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में गुहार लगाई. इस पर दिल्ली सरकार और हॉस्पिटल से हाईकोर्ट ने जवाब मांगा था। इसी सिलसिले में अब हॉस्पिटल की ओर से अपना पक्ष रखा गया है. कोर्ट में प्रस्तुत हलफनामे के अनुसार हॉस्पिटल ने एक बार फिर ऐसे किसी तरह का कानून ना होने की बात कहकर स्पर्म देने से इनकार किया है. ऐसे में अब पैरेंट्स की परेशानियां बढ़ती दिख रही हैं।
बता दें कि मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील दिनेश कुमार गोस्वामी ने हाईकोर्ट में कहा था कि अस्पताल में जमा सैम्पल पर पैरेंट्स का हक है, जबकि अस्पताल प्रबंधन की ओर से वकील सुभाष कुमार का कहना था कि जीवित व्यक्ति की अनुमति से स्पर्म सैम्पल सुरक्षित रखे गए थे, लेकिन उसकी मौत के बाद अब कानूनी अधिकार की स्थिति बदल गई है।
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