डेस्क। स्वर कोकिला लता मंगेशकर का रविवार को 92 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्हें 8 जनवरी को कोविड संक्रमित होने के बाद मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती किया गया था। नका इलाज काफी दिनों से अस्पताल में चल रहा था। लेकिन आज सुबह 8:12 मिनट पर लता मंगेशकर का निधन हो गया।
इंडस्ट्री में 30,000 से ज्यादा गानों को अपनी आवाज दे चुकी लता मंगेशकर आज लोगों की पसंदीदा गायिकाओं में शामिल हैं। लता मंगेशकर की आवाज जादू आज भी लोगों पर उसी तरह कायम है। शायद ही कोई ऐसा हो जिसे लता जी की आवाज पसंद ना हो। लेकिन बहुत ही कम लोग यह जानते होंगे कि एक समय ऐसा भी था जब सुरों की रानी लता मंगेशकर को उनकी पतली आवाज के कारण नापसंद किया गया था।
अपने करियर के शुरुआती दौर में कई लोगों ने लता जी को उनकी आवाज के लिए रिजेक्ट कर दिया था। कई लोगों ने उनकी आवाज को पतली और कमजोर बताते हुए गाना गवाने से इनकार कर दिया था। लता जी को उनकी पतली आवाज के लिए रिजेक्ट करने वाले पहले इंसान कोई और नहीं बल्कि मशहूर फिल्मकार एस मुखर्जी थे।
बात तब की है जब लता जी के गुरु गुलाम हैदर साहब ने फिल्म मेकर एस मुखर्जी को अभिनेता दिलीप कुमार और कामिनी कौशल की फिल्म ‘शहीद’ के लिए लता जी की आवाज सुनाई। इस दौरान उनके गाने को बड़े ध्यान से सुनने के बाद मुखर्जी ने कहा कि वह उन्हें अपनी फिल्म में काम नहीं दे सकते क्योंकि उनकी आवाज ज्यादा ही पतली है।
एस मुखर्जी से मिले रिजेक्शन के बाद फिर गुरु गुलाम हैदर साहब लताजी को काम दिलवाने की कोशिश की। एक बार हैदर साहब खुद लता मंगेशकर और दिलीप कुमार के साथ मुंबई की लोकल ट्रेन से सफर कर रहे थे। इस दौरान हैदर ने सोचा कि क्यों ना दिलीप साहब को ही लता जी की आवाज सुनाई जाए तो शायद उन्हें काम मिल जाए।
इस दौरान जैसे ही लता जी ने गाना शुरू किया दिलीप कुमार ने उन्हें टोकते हुए कहा कि मराठियों की आवाज से दाल भात का गंध आती है। दरअसल अपनी टिप्पणी के जरिए दिलीप कुमार लता जी के उच्चारण की तरफ इशारा कर रहे थे। दिलीप कुमार की इस टिप्पणी के बाद लता जी ने हिंदी और उर्दू सीखने के लिए एक टीचर रखा और अपनी उच्चारण को सही किया।
सुरों के साथ-साथ धुन की पक्की लता मंगेशकर ने सबकी बताई गलतियों से सबक लेते हुए देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी अपनी एक अलग पहचान बनाई। आज लता मंगेशकर स्वर कोकिला के नाम से पहचानी जाती हैं। इतना ही नहीं फिल्म इंडस्ट्री में कमाई अपनी शोहरत की बदौलत ही आज वह उस मुकाम पर हैं, जहां पहुंचना सबके बस की बात नहीं। साल 2011 में लता जी ने आखिरी बार ‘सतरंगी पैराशूट’ गाने को अपनी आवाज दी थी, इसके बाद से ही वह तक सिंगिंग से दूर हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved