– पिता के साथ करती थीं अभिनय
इंदौर। लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) को गायकी विरासत में मिली। इनके पिता रंगमंच कलाकार और गायक थे, जिनके साथ ही लता जी ने रंगमंच अभिनय और गायकी को शुरू किया था। पिता के इसी पेशे में होने के कारण शुरू से घर का माहौल संगीतनुमा था, जिसका असर उनपर और उनके भाई-बहनों पर पड़ा। लता जी के परिवार से उनके भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर, बहनें उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा मंगेशकर सभी संगीत से ही जुड़े हैं। 13 साल की उम्र से गा रहीं लता जी ने अब तक 30 हजार से अधिक गीत गाए हैं। बताते हैं कि जब लता जी ने करियर शुरू किया, तो किसी ने उनसे कह दिया था कि हरी मिर्च खाने से आवाज सुरीली होती है, इसलिए वो हरी मिर्च खूूब खाती थीं। साथ ही अपनी आवाज के लिए मुंह की कसरत च्विंगगम (Chewing Gum) खाकर करती थीं।
भय्यू महाराज के आश्रम आईं थीं लता जी
लता जी का स्व भय्यू महाराज से आत्मीय लगाव था। वे उनके कामों से काफी प्रभावित थीं, इसलिए अक्सर विशेष मौकों पर उनकी भय्यू महाराज से फोन पर बात भी होती रहती थीं। 90 के दशक में वे एक बार इंदौर (Indore) में भय्यू महाराज के आश्रम भी आईं थीं और करीब आधा घंटा रूकी थीं। इंदौर में लता मंगेशकर की मां के नाम पर मराठा समाज ने 22 साल पहले माई मंगेशकर सभागृह का निर्माण भी करवाया है।
इंदौर में मनता है हर साल जन्मदिन, स्वस्थ होने के लिए की थी प्रार्थनाएं
इंदौर के कला और संगीत से जुड़े लोग हर साल लता मंगेशकर के जन्मदिन (Birthday) के मौके पर बड़ी धूमधाम से यहां जश्न मनाते हैं। 28 दिन पहले जब इंदौर के लोगों को उनके अस्वस्थ होने की जानकारी लगी थी, तो प्रार्थनाओं का दौर शुरू हो गया था। इंदौर में उनके निवास स्थान रहे इलाके में उनके सम्मान में एक होर्डिंग लगवाया गया। साथ ही मंदिरों में उनके स्वस्थ होने के लिए पाठ किए गए।
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