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अन्य बीमारियों से हो रहीं मौतें फिजूल ही कोरोना के खाते में

February 04, 2022

  • तीसरी लहर में अब तक मात्र 3 मौतें ही स्वास्थ्य बुलेटिन में आईं

उज्जैन। 90 फीसदी से अधिक मौतें सिर्फ कोरोना के कारण नहीं हो रही हैं, बल्कि अन्य गंभीर बीमारियों से पीडि़त और अस्पतालों में भर्ती मरीजों की मौत हो रही हंै, जिसे जबरन कोरोना के खाते में दर्ज किया जा रहा है। बीते 24 घंटे में जो 6 मौतें कोरोना से बताई गर्इं, जबकि हकीकत यह है कि ये सारे मरीज अन्य बीमारियों के उपचार हेतु अस्पतालों में भर्ती रहे और एहतियात के तौर पर टेस्ट करवाने पर रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। इनमें एक 4 माह की बच्ची भी शामिल है, जो जन्म से ही गंभीर हृदय रोग का शिकार होकर अस्पताल में ही भर्ती रही। अन्य 5 मृतकों में 48 से लेकर 90 साल के बुजुर्ग शामिल हैं।



ये मरीज भी पहले से इलाज के लिए भर्ती रहे। पिछले दिनों संभागायुक्त ने भी कोरोना से हुई मौतों की ऑडिट रिपोर्ट की जानकारी देते हुए बताया था कि अधिकांश मौतें अन्य कारणों से हुई हैं। इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी की गई गाइडलाइन की भी अनदेखी की जा रही है। माह में जब तीसरी लहर पीक पर रही उस दौरान 3 मौतें ही मेडिकल बुलेटिन में बताई गई हैं। कल रात जारी बुलेटिन में 1800 सैम्पलों की जांच में जहां 150 नए पॉजिटिव मिले, तो 3 मौतें भी होना बताई गर्इं, जिसके चलते कुल मरने वालों का आंकड़ा 174 पहुंच गया। इस संबंध में जब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय शर्मा से पूछा गया तो उन्होंने स्वीकार किया कि ये सभी 3 मौतें अन्य बीमारियों के चलते हुई हंै और सभी मरीज पहले से ही अस्पतालों में भर्ती थे। अस्पतालों एवं होम आईसोलेशन में उपचार करा रहे मरीजों की संख्या अभी भी 1550 से ऊपर चल रही है। कोरोना के मामले जिले में थमने का नाम नहीं ले रहेहैं। तहसीलों में लगातार नए मरीज बढ़ते जा रहे हैं। हालांकि तीसरी लहर में पहले के मुकाबले मरीजों की मौतें कम हुई हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन को कर दिया दरकिनार
पिछले दिनों आईसीएमआर ने कोरोना मरीजों के प्रोटोकॉल, होम आइसोलेशन और टेस्ट करवाने को लेकर स्पष्ट गाइडलाइन जारी की, वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय और मध्यप्रदेश शासन के संचालनालय ने भी स्पष्ट दिशा-निर्देश सभी कलेक्टरों और सीएमएचओ को भिजवाए। इसमें गर्भवती महिलाएं और ऐसे रोगी जो अन्य बीमारियों से पीडि़त हों या उनका ऑपरेशन किया जाना है, डायलिसिस या हृदय रोग के शिकार मरीजों का इलाज प्राथमिकता से किया जाए और जबरन उसका कोरोना टेस्ट ना करवाएं। बावजूद इसके निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों का टेस्ट करवाया जाता है और कोरोना निकलने पर उनका इलाज भी ठीक तरीके से नहीं हो पाता है।

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