नई दिल्ली: भारत के दिग्गज स्पिनर हरभजन सिंह ने पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के साथ अपने रिश्तों को लेकर बड़ा बयान दिया है. हरभजन सिंह ने इसके साथ ही BCCI पर भी निशाना साधा है. हरभजन सिंह ने बताया कि उनके करियर के अंतिम दिनों के दौरान BCCI से उन्हें किसी तरह का सपोर्ट नहीं मिला.
हरभजन सिंह ने बयां किया अपना दर्द
हरभजन सिंह ने बताया कि उन्हें कुछ बाहरी लोगों से पता चला कि अब वो BCCI की स्कीम ऑफ थिंग्स में नहीं है. जिसके बाद यह खबर आई हरभजन सिंह और महेंद्र सिंह धोनी के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा था. हरभजन सिंह भारतीय टीम की जर्सी में आखिरी बार साल 2016 में नजर आए थे, जहां पर उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा था, जिसकी वजह से जब उन्हें टीम से ड्रॉप किया गया तो वो वापसी नहीं कर सके.
धोनी को लेकर हरभजन का सनसनीखेज खुलासा
हरभजन सिंह के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर काफी विवाद भी हुआ कि हरभजन सिंह को पूर्व कप्तान एमएस धोनी से समस्या है. लेकिन अब हरभजन सिंह ने साफ करते हुए कहा कि उनके और महेंद्र सिंह धोनी के बीच में कभी मनमुटाव नहीं हुआ था. हरभजन सिंह ने न्यूज 18 के क्रिकेट नेक्सट के साथ खास बातचीत की और धोनी के साथ अपने रिश्ते पर खुलकर बात की. इस दौरान जब हरभजन सिंह से सवाल किया गया कि धोनी के साथ उनका रिश्ता कैसा है.
सेलेक्टर्स ने टीम को कभी एकजुट नहीं होने दिया
हरभजन सिंह ने अपने और धोनी के बारे में बात करते हुए कहा, ‘मेरे और धोनी के बीच में कभी भी ऐसा कुछ नहीं हुआ. मुझे धोनी से कोई शिकायत नहीं है. इन सभी सालों के दौरान हम बहुत अच्छे दोस्त रहे. अगर मुझे शिकायत है तो उस वक्त के बीसीसीआई से, मैं उस वक्त के बीसीसीआई को सरकार कह कर बुलाता हूं. उस वक्त बोर्ड में जो भी सेलेक्टर थे उन्होंने अपना काम सही से नहीं किया. उन्होंने टीम को कभी भी एकजुट नहीं होने दिया.’
चयनकर्ताओं से हुआ था पंगा
हरभजन सिंह ने कहा, ‘2012 के बाद बहुत सारी चीजें बेहतर हो सकती थी. वीरेंद्र सहवाग, मैं, युवराज सिंह, गौतम गंभीर, हम सभी आईपीएल में सक्रिय रूप से खेल रहे थे और भारतीय टीम के लिए खेलते हुए संन्यास ले सकते हैं. यह काफी व्यंगात्मक लगता है कि 2011 वर्ल्ड कप में टीम को जिताने वाले खिलाड़ी दोबारा एक साथ खेलते हुए नजर नहीं आ सके. क्यों, उनमें से केवल कुछ ही खिलाड़ी 2015 के वर्ल्ड कप में साथ खेलते नजर आए, इसके पीछे का क्या कारण है.’
हरभजन ने कहा, ‘मुझे शिकायत BCCI की उस वक्त की सरकार से है. मैं BCCI को सरकार कहकर बुलाता हूं. उस वक्त के चयनकर्ताओं ने अपने रोल के साथ न्याय नहीं किया. मुझे इस बात का मतलब नहीं समझ आया कि जब आपके सीनियर खिलाड़ी अपना काम कर रहे हैं और नतीजे दे रहे हैं तो आप नए खिलाड़ियों को क्यों ला रहे हैं. मैंने इसको लेकर एक बार चयनकर्ताओं से बात भी की तो उनका जवाब था कि यह उनके हाथ में नहीं है तो मैंने यही कहा कि फिर वो चयनकर्ता किस लिए बने बैठे हैं.’
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