नई दिल्ली । भारत के राष्ट्रपति (President of India) राम नाथ कोविन्द (Ram Nath Kovind) ने संसद के संयुक्त अधिवेशन (Joint Session of Parliament) में अभिभाषण (Address) के दौरान मेरी सरकार ने वर्ष 2014 से अब तक ऐसे साढ़े चार करोड़ से अधिक छात्राओं (4.5 Crore Minority Girl Students) को छात्रवृत्तियां (Scholarship) प्रदान की हैं। सरकार ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में भी महिला कैडेट्स के प्रवेश को मंजूरी दी है। महिला कैडेट्स का पहला बैच एनडीए में जून 2022 में प्रवेश करेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि आत्म-निर्भर भारत के संकल्प व सामर्थ्य को आकार देने के लिए मेरी सरकार, देश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू कर रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से स्थानीय भाषाओं को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। स्नातक पाठ्यक्रमों की महत्वपूर्ण प्रवेश परीक्षाएं भारतीय भाषाओं में भी संचालित करने पर जोर दिया जा रहा है। इस वर्ष 10 राज्यों के 19 इंजीनियरिंग कॉलेजों में 6 भारतीय भाषाओं में पढ़ाई शुरू हो रही है।
राष्ट्रपति ने भारत की नई शिक्षा नीति और शिक्षा के क्षेत्र में आ रहे सकारात्मक बदलावों की जानकारी देते हुए कहा कि वर्ष 2014 से पूर्व अल्पसंख्यक वर्ग के लगभग तीन करोड़ विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियां दी गई थीं, जबकि मेरी सरकार ने वर्ष 2014 से अब तक ऐसे साढ़े चार करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को छात्रवृत्तियां प्रदान की हैं। इससे मुस्लिम बालिकाओं के स्कूल छोड़ने की दर में महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गई है तथा उनके प्रवेश में वृद्धि देखी गई है।
राष्ट्रपति ने कहा, देश की बेटियों में सीखने की क्षमता को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रावधान किया गया है। यह हर्ष की बात है कि मौजूदा सभी 33 सैनिक स्कूलों ने बालिकाओं को प्रवेश देना शुरू कर दिया है। सरकार ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में भी महिला कैडेट्स के प्रवेश को मंजूरी दी है। महिला कैडेट्स का पहला बैच एनडीए में जून 2022 में प्रवेश करेगा। मेरी सरकार के नीतिगत निर्णय और प्रोत्साहन से, विभिन्न पुलिस बलों में महिला पुलिस-कर्मियों की संख्या में, 2014 के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा बढ़ोतरी हो चुकी है। सरकार द्वारा जनजातीय युवाओं की शिक्षा के लिए हर आदिवासी बहुल ब्लॉक तक एकलव्य आवासीय मॉडल स्कूल के विस्तार का काम किया जा रहा है। ये स्कूल लगभग साढ़े तीन लाख जनजातीय युवाओं को सशक्त बनाएंगे।
स्किल इंडिया मिशन के तहत, आई.टी.आई., जन शिक्षण संस्थान, और प्रधानमंत्री कौशल केंद्रों के जरिए पूरे देश में सवा दो करोड़ से अधिक युवाओं का कौशल विकास हुआ है। स्किल को उच्च शिक्षा के साथ जोड़ने के लिए यू.जी.सी. के नियमों में कई बदलाव भी किए गये हैं। कोरोना से लड़ाई के लिए स्किल इंडिया मिशन के तहत हेल्थ केयर से जुड़े 6 विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। इनसे हेल्थ केयर सेक्टर को मदद मिल रही है।सरकार ने तीन तलाक को कानूनन अपराध घोषित कर समाज को इस कुप्रथा से मुक्त करने की शुरूआत की है। मुस्लिम महिलाओं पर, केवल मेहरम के साथ ही हज यात्रा करने जैसे प्रतिबंधों को भी हटाया गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि मेरी सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था और देश के किसानों को सशक्त बनाने के लिए निरंतर काम कर रही है। वैश्विक महामारी के बावजूद साल 2020-21 में हमारे किसानों ने 30 करोड़ टन से अधिक खाद्यान्न और 33 करोड़ टन से अधिक बागवानी उत्पादों की पैदावार की। सरकार ने रेकॉर्ड उत्पादन को ध्यान में रखते हुए रेकॉर्ड सरकारी खरीद की है। रबी की फसल के दौरान 433 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई जिससे लगभग 50 लाख किसानों को सीधा फायदा पहुंचा है। खरीफ की फसल के दौरान रेकॉर्ड लगभग 900 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई जिससे एक करोड़ तीस लाख किसान लाभान्वित हुए।सरकार के प्रयासों से देश का कृषि निर्यात भी रेकॉर्ड स्तर पर बढ़ा है। वर्ष 2020-21 में कृषि निर्यात में 25 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई। यह निर्यात लगभग 3 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया है।
हॉर्टिकल्चर और शहद उत्पादन भी किसानों के लिए आमदनी के नए स्रोतों और बाजार तक उनकी बढ़ती पहुँच के महत्वपूर्ण माध्यम हैं। शहद उत्पादन को प्रोत्साहन देने से वर्ष 2020-21 में देश का शहद उत्पादन एक लाख पच्चीस हजार मीट्रिक टन तक पहुँच गया है जोकि 2014-15 की तुलना में करीब 55 प्रतिशत ज्यादा है। 2014-15 की तुलना में शहद की निर्यात मात्रा में भी 102 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है।
किसानों को उनकी फसल के अधिक दाम मिलें, इसके लिए उनके उत्पादों का सही बाजार तक पहुँचना जरूरी होता है। इस दिशा में सरकार ने किसान रेल सेवा शुरू करते हुए किसानों के लिए खुशहाली के नए रास्ते खोलने का काम किया है। कोरोना काल में भारतीय रेल ने सब्जियों, फलों तथा दूध जैसी, जल्दी खराब होने वाली खाद्य सामग्री के परिवहन के लिए, 150 से अधिक मार्गों पर 1900 से ज्यादा किसान रेल चलाईं और करीब 6 लाख मीट्रिक टन कृषि उत्पादों की ढुलाई की। यह इस बात का उदाहरण है कि अगर सोच नई हो तो पुराने संसाधनों से भी नए रास्ते बनाए जा सकते हैं।
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