उज्जैन। धार्मिक नगरी उज्जैन में सप्त सागरों की संरचना तो प्राचीन काल में हुई थी लेकिन इस आधुनिक काल में इन सागरों की दशा बिगड़ गई है। ऐसे ही हाल पुष्कर सागर के हो गए हैं। इसके आसपास जमकर अतिक्रमण हुआ और ढाई बीघा क्षेत्र का पुष्कर सागर अब कुछ फीट का बचा है। यदि प्रशासन यहां कि सरकारी तौर पर उन्नति कराए तो इस सागर का सौंदर्यीकरण किया जा सकता है। नलिया बाखल में शहर के सप्त सागरों में से एक पुष्कर सागर स्थित है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार पुराने समय में सर्वे क्रमांक 2717 में 0. 500 हेक्टेयर जमीन पुष्कर सागर की दर्शाई गई है और नगर निगम के पास वर्तमान में जो नक्शा है उसमें भी उतनी ही जमीन बताई गई है।
यानि कि ढाई बीघा जमीन अर्थात वर्तमान स्क्वायर फीट के मान से माने तो करीब 50 हजार स्क्वायर फीट से ज्यादा जमीन इस सागर की है, लेकिन वर्तमान में इस सागर के पास इतना अतिक्रमण हो चुका है कि अब मात्र 12 सौ से 13 सो स्क्वायर फीट जमीन ही सागर की बची है। अब यह सागर बावड़ीनुमा बचा है और इसके चारों और रहवासी मकान बन गए हैं, जब श्रद्धालु सप्तसागर हो की यात्रा पर आते हैं तो यहां पूजा करने की जगह तक नहीं बची है और परिक्रमा तो यहां हो ही नहीं सकती, क्योंकि हर तरफ निर्माण हो गए हैं, ऐसे में यहां बने मकानों के ओटलों पर बैठ कर पूजा करनी पड़ती है। अब स्मार्ट सिटी सप्तसागर में इस सागर को भी साफ सफाई करवा रहा है लेकिन इसके पहले प्रशासन को चाहिए कि इस सागर की अतिक्रमण की हुई जमीन को मुक्त कराएं, तभी इस सागर का सही रूप सामने आ पाएगा। शहर के जनप्रतिनिधि और अधिकारी तो इस सागर को भूल गए हैं। इसलिए गोवर्धन सागर की तरह ही इस पुष्कर सागर के लिए भी साधु संतों को ही आगे आना पड़ेगा, तभी इस सागर का भी उद्धार हो पाएगा।
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