पटना । बिहार (Bihar) में रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड (RRB) नॉन टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरी (NTPC) रिजल्ट में गड़बड़ी को लेकर बीते तीन दिनों से जारी घमासान के बाद पटना पुलिस ने बुधवार देर रात खान सर (Khan sir), एस.के झा सर (SK Jha sir), नवीन सर (Naveen Sir), अमरनाथ सर (Amarnath Sir), गगन प्रताप सर (Gagan Pratap Sir), गोपाल वर्मा सर (Gopal Varma Sir) तथा बाजार समिति के कई अन्य कोचिंग संस्थानों पर छात्रों के आंदोलन के लिए भड़काने का आरोप लगाते हुए पत्रकार नगर थाने में एफआईआर (FIR) दर्ज किया है।
इन पर आरोप है कि आंदोलन के लिए अभ्यर्थियों को भड़काया और मार्गदर्शन किया। पत्रकार नगर थाने में एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। एफआईआर होने के बाद खान सर फरार है।कोचिंग बंद और मोबाइल भी स्विच ऑफ आ रहा है। खान सर ने 30 नवंबर, 2021 को अपने यूट्यूब चैनल पर आरआरबी-एनटीपीसी से संबंधित एक वीडियो अपलोड किया था। उन्होंने इसमें नौकरी से संबंधित सभी जानकारियों का जिक्र किया है।
इसके साथ उन्होंने भर्ती बोर्ड की खामियों को बताने के साथ किसान आंदोलन से जुड़ी कुछ तस्वीरों को भी शेयर किया है और लिखा है कि ‘छात्रों को अपनी मुहिम किसान आंदोलन की तर्ज पर लंबी चलानी होगी।’ उनके इस वीडियो पर 25.77 लाख व्यूज है। दो लाख 40 हजार लाईक हैं और इसमें एक भी डिसलाईक नहीं है। इसके बाद एक दिसंबर को उन्होंने रेलवे अभ्यर्थियों के समर्थन में ट्विटर पर #Justice_For_Railway_Students कैंपेन भी चलाया, जिसमें लाखों लोगों ने ट्वीट किया है। खान सर ने आरआरबी-एनटीपीसी रिजल्ट को लेकर यूट्यूब पर वीडियो की सीरीज बना डाली है। हर वीडियो में उन्होंने रेलवे पर सवाल उठाया है।
खान सर के समर्थन में आए मांझी और शिवानंद
पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के सुप्रीमो जीतन राम मांझी और राष्ट्रीय जनता दल के नेता शिवानंद तिवारी ने खान सर पर हुए एफआईआर का विरोध किया है। शिवानंद तिवारी ने गुरुवार को परीक्षा बोर्ड पर मुकदमे की मांग की है। हम सुप्रीमो जीतनराम मांझी ने ऐसे कदमों से आंदोलन के और भड़ने की आशंका जाहिर की है।शिवानंद तिवारी ने मांग की है कि पुलिस को शिक्षकों की जगह रेलवे भर्ती बोर्ड के अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करना चाहिए। पुलिस को रेलवे बहाली बोर्ड पर मुकदमा दर्ज करना चाहिए। इनके अध्यक्ष सहित तमाम सदस्यों को अभियुक्त बनाया जाना चाहिए।
महागठबंधन ने कहा, सरकार का दमनात्मक रूख निंदनीय
छात्रों के आंदोलन के मद्देनजर महागठबंधन ने आज बैठक की। बैठक के बाद महागठबंधन के दलों ने संयुक्त प्रेस बयान जारी कर कहा कि आंदोलनरत छात्र युवाओं के प्रति सरकार का दमनात्मक रूख निंदनीय है। बर्बर पुलिसिया दमन, आंसू गैस गिरफ्तारी व मुकदमे थोपकर सरकार आंदोलन को कुचलने की कोशिश कर रही है, जो कहीं से जायज नहीं है। बीते सात वर्षों में भाजपा के राज में वे अपने को लगातार छला महसूस कर रहे हैं। बिहार की सरकार ने भी उन्हें धोखा दिया है।
उन्होंने कहा कि ऐसी कोई परीक्षा नहीं है जिसकी प्रक्रिया पूरी होने में कम से कम 5 से 7 साल का समय नहीं लगता हो, इससे लोग तंग आ गए हैं। बेरोजगारी का आलम यह है कि ग्रुप डी तक की परीक्षा में भी करोड़ों आवेदन आते हैं। बिहार में तो बेरोजगारी चरम पर है, इसलिए सबसे ज्यादा तीखा प्रतिवाद यहीं देखा जा रहा है।28 जनवरी को छात्र संगठन इनौस और आइसा ने रेलवे परीक्षार्थी के आंदोलन को समर्थन देते हुए बिहार बंद का ऐलान किया है।
सीपीआरओ ने की शांति की अपील
सीपीआरओ राजेश कुमार ने हि.स. से बातचीत में कहा कि रेलवे परीक्षा में रिजल्ट को लेकर छात्रों के प्रदर्शन पर मैं सभी छात्रों से अपील करना चाहता हूं कि रेल मंत्रालय आपकी समस्याओं के प्रति काफी संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि आपकी शिकायतें के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। निवेदन है कि शांति बनाए रखें, धैर्य रखें। परीक्षा निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से ली गई है।
क्या है पूरा मामला
रेलवे ने वर्ष-2019 में लोकसभा चुनाव के वक़्त एनटीपीसी के माध्यम से 35,308 पोस्टों के लिए और ग्रुप डी के लिए लगभग एक लाख तीन हज़ार पोस्टों के लिए आवेदन मंगाया। फ़रवरी-मार्च में छात्रों ने फ़ॉर्म भरा। अप्रैल-मई में नई सरकार बन गई। जुलाई तक परीक्षा लेने की संभावित तारीख़ दी गई थी लेकिन साल 2019 में परीक्षा नहीं ली गई। साल 2021 में परीक्षा हुई और साल 2022 में सीबीटी-1 (एनटीपीसी) का रिज़ल्ट जारी किया गया। उस वक़्त नोटिफ़िकेशन में यह बात लिखी गई थी कि रेलवे बोर्ड सीबीटी-1 (एनटीपीसी) में 20 गुना रिज़ल्ट देगा लेकिन इन्होंने एक छात्र को पांच जगह गिना। इससे यह तो हुआ कि छात्र को 20 गुना रिज़ल्ट दिया। वास्तविकता में रेलवे बोर्ड ने मात्र 10-11 गुना रिज़ल्ट ही दिया है।
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